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गीत-सी बजती हो कानों में…।
मीत-सी लगती हो दिल को,
अप्सरा बन रहती हो अरमानों में।
गीत-सी बजती…ll
कभी साहिर के गीतों-सी,
कभी कश्मीरी प्रीतों-सी
नदिया-सी मचलती हो,
कभी खलिहानों में…।
गीत-सी बजती…ll
कामिनी बन प्रणय में,
चांदनी बन विरह में
प्यार की थपकियों-सी,
जीवन की मस्तियों में
ऊषा-सी नव-चेतना,
कभी सत्ताई बयानों में…।
गीत-सी बजती…ll
कभी आदि में,कभी अंत में,
कभी पतझड़,कभी बसंत में
परिंदों की गुफ्तगू,
कभी कोयल की तानों में…।
गीत-सी बजती हो कानों मेंll
#निकेता सिंह `संकल्प`(शिखी)
परिचय : निकेता सिंह का साहित्यिक उपनाम-संकल्प(शिखी) है। जन्मतिथि- १ अप्रैल १९८९ तथा जन्म स्थान-पुरवा उन्नाव है। वर्तमान में वाराणसी में रह रही हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव-लखनऊ शहर की निकेता सिंह ने बीएससी के अलावा एमए(इतिहास),बीएड, पीजीडीसीए और परास्नातक(आपदा प्रबंधन) की शिक्षा भी हासिल की है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षा विभाग) है। आप सामाजिक क्षेत्र में शिक्षण के साथ ही अशासकीय संस्था के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के उत्थान के लिए कार्यरत हैं। लेखन में विधा-गीतकाव्य, व्यंग्य और ओज इत्यादि है। क्षेत्रीय पत्र- पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
सम्मान के रुप में आपको क्षेत्रीय कवि सम्मेलनों में युवा रचनाकार हेतु सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय हैं तो उपलब्धि काव्य लेखन है। आपके लेखन का उद्देश्य-जनमानस तक पहुँच बनाना है।
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Tue Dec 12 , 2017
अदालत के बाहर पुलिस से घिरा शाजिद मौन धारण किए खड़ा था,जैसे उसे मृत्यु बोध का आभास हो। बाहर निकलते ही इरफान साहब को देखते शाजिद चिल्ला उठा-अब्बू आपने ये ठीक नहीं किया।इरफान साहब रुके और शाजिद के पास जाकर-क्या अभी भी तुझे ऐसा लग रहा है कि मैंने ठीक […]