नीलम तोलानी के काव्य संग्रह ‘कितना मुश्किल कबीर होना’ विमोचित

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कल्पना और विचारों का तालमेल है कविता- डॉ. शर्मा

इन्दौर । ‘सभी क्रांतियों की देह में किताबें रही हैं और किताबों की देह में कविता। कल्पना और विचारों का तालमेल कविता होती है।’
यह बात अंतरराष्ट्रीय कवि डॉ. राजीव शर्मा ने कही। वह मंगलवार शाम लेखिका नीलम हरीश तोलानी के काव्य-संग्रह ‘कितना मुश्किल कबीर होना’ के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के शिवाजी सभागार में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष अमरवीर कौर चड्ढा ने की। उन्होंने कहा, ‘नीलम तोलानी की यह काव्य यात्रा नदी की तरह है, जिसमें विमर्श, मौलिकता और नवीनता स्थापित है।’


विशेष अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी ने कहा कि ‘रोशनी के पर्वों के बीच अच्छा साहित्य, अच्छा लेखन जीवन में सकारात्मक रोशनी का संचार करता है।’
पुस्तक पर चर्चा करते हुए इन्दु पराशर ने कहा कि ‘सकारात्मकता का परिणाम है नीलम की कविताएँ। पुस्तक में प्रार्थना की पुकार इत्यादि गहराई वाली कविताएँ हैं।’
स्वागत उद्बोधन मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन अविचल ने दिया। लेखिका नीलम तोलानी ने किताब पर बात रखी। मंच पर शिखा जैन की मौजूदगी रही।

अतिथियों का स्वागत हरीश तोलानी, गोविंद सचदेव, शारदा सचदेव ने किया। संचालन अंशुल व्यास ने किया। पुस्तक विमोचन में हरेराम वाजपेयी, जयसिंह रघुवंशी, रमेशचंद्र शर्मा, श्यामलाल राजदेव, किशोर कोडवानी, देवेंद्र सिंह सिसौदिया, पद्मा राजेन्द्र, निरुपमा नागर आदि शहर के सुधि साहित्यिकजनों सहित गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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