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न मोती मिले न ख्वाब मिले,
रेत की नदी में सदफ़ के सपने।
हकीकत की धूप आंख में सपने ,
हदबंदी बाहर शग़फ़ के सपने।
तेज़ हवा दिल पर खींचे कमान,
सय्यारे सभी तरफ़ के सपने।
बरसों के गम घूंटू दयार में,
ज़िंदगी बनी कलफ़ के सपने ।
आंख है खाली दिल भरा पड़ा,
देख रहे हम अज़ल के सपने ।
गढ़ी हो नाल बुलाती वो मिट्टी,
खुल के मिले हदफ़ के सपने।
#बिजल जगड
मुंबई घाटकोपर
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