जो इंसा का न हुआ..

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ajit sinh
तेरी नजरों में जो हूँ तो सब कुछ हूँ मैं,
तुमसे जुदा,मेरी कोई पहचान नहीं है।
चाहे लाख गीत गाएं हम,मोहब्बत के,
तुझ तक न पहुंचे वो कीर्तन,अजान नहीं है।
पतंगे भी मर मिटते हैं,मोहब्बत में किसी की,
जो इंसा का न हुआ,वो इंसान तो नहीं है।
इतना क्यों अकड़  रहे हो जिंदा होकर,
ये दुनिया है,कोई शमशान तो नहीं है॥

                                                     #अजीतसिंह चारण

परिचय: अजीतसिंह चारण का रिश्ता परम्पराओं के धनी राज्य राजस्थान से है। आपकी जन्मतिथि-४ अप्रैल १९८७ और शहर-रतनगढ़(राजस्थान)है। बीए,एमए के साथ `नेट` उत्तीर्ण होकर आपका कार्यक्षेत्र-व्याख्याता है। सामाजिक क्षेत्र में आप साहित्य लेखन एवं शिक्षा से जुड़े हुए हैं। हास्य व्यंग्य,गीत,कविता व अन्य विषयों पर आलेख भी लिखते हैं। आपकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं तो राजस्थानी गीत संग्रह में भी गीत प्रकाशित हुआ है। लेखन की वजह से आपको रामदत सांकृत्य साहित्य सम्मान सहित वाद-विवाद व निबंध प्रतियोगिताओं में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार मिले हैं। लेखन का उद्देश्य-केवल आनंद की प्रप्ति है। 

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