पुरानी यादे

0 0
Read Time1 Minute, 25 Second

कैसे भूलू में बचपन अपना।
दिल दरिया और समुंदर जैसा।
याद जब भी आये वो पुरानी।
दिल खिल जाता है बस मेरा।
और अतीत में खो जाता हूँ।
कैसे भूलू में बचपन अपना।।

क्या कहूं उस, स्वर्ण काल को।
जहां सब अपने, बनकर रहते थे।
दुख मुझे हो तो, रोते वो सब थे।
मेरी पीड़ा को, वो समझते थे।
इसको ही स्वर्णयुग कह सकते ।।

मेरा रहना खाना और पीना।
माँ बाप को, कुछ था न पता।
ये सब तो, पड़ोसी कर देते थे।
इतनी आत्मीयता, उनमें होती थी।।

अब जवानी का, दौर कुछ अलग है ।
शहरों में कहां, आत्मीयता होती हैं।
सारे के सारे, लोग स्वार्थी है यहाँ के।
सिर्फ मतलब के, लिए ही मिलते है।।

पत्थरो के शहर, में रहते रहते ।
खुद पत्थर दिल, हम हो गए है।
किस किस को दे, दोष हम इसका।
एक ही जैसे सारे, हो गए है।।

अन्तर है गांव और शहर में।
अपने और पराए में ।
वहां सब अपने होते थे।
यहां कोई किसी का नहीं।।

यहां के सारे रिश्ते झूठे है।
अपना बनकर अपनों को ठगते है।
और इंसानियत को ताक पर रखते है।
और फिर भी अपनापन दिखाते है।।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन,मुम्बई

matruadmin

Next Post

पूर्णिया के जिहादियों पर कठोर कार्यवाही कर पीड़ित महा-दलितों को मिले न्याय: विहिप

Sun May 23 , 2021
नई दिल्ली। मई 22, 2021. बिहार के पूर्णिया में इस्लामिक जिहादियों द्वारा हिंसक हमले पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने पीड़ित माह-दलित परिवारों को शीघ्र न्याय की मांग की है। विहिप के केन्द्रीय महामंत्री श्री मिलिंद परांडे ने कहा है कि गत बुधवार आधी रात को […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।