
दिल के भाव जब पन्नों पर,
मोती से बिखरने लगते हैं।
रचती है प्यारी कविता तब,
अरमान मचलने लगते हैं।
हो जाए लाचार जुबाँ जब,
तब कविता तलवार बनती है।
दुनियाँ वालों के हर प्रश्न का,
करारा जवाब ये बनती है।
हर प्रेमी के प्रेम की सदा,
आवाज ये बनती है।
प्रेम,चिन्ता और ख्याल का,
प्यारा इज़हार ये बनती है।
दुष्टों और पाखंडियों का,
पर्दाफाश ये करती है।
समाज के सारे भेड़ियों का,
सदा शिकार ये करती है।
माँ को ममता जैसा हमको,
दुलार ये करती है।
भाई बहना के प्रेम का ,
त्योहार ये करती है।
सच्चे यारों की यारी पर,
जान कुर्बान ये करती है।
मुश्किलों में यारों का,
विस्वास ये बनती है।
नित सच्ची बात बताने को,
अखबार ये बनती है।
जीवन के हर पहलू की,
दिलदार ये बनती है।
वीरों की देशभक्ति का,
स्वाभिमान ये बनती है।
शूरवीर की वीरता का,
बखान ये बनती है।।
लगे चोट जब दिल पे कोई,
मरहम लाख ये बनती है।
दिल को बहलाने का सदा,
सरगम साज ये बनती है।
प्रतिद्वन्दी के सीने पर फिर,
तीखी कटार ये बनती है।
हर सुख दुःख हर पीड़ा में,
सच्ची हमराज ये बनती है।
कविताएँ सदा साहित्य की,
श्रृंगार ये बनती हैं।
कवियों के जीवन का सदा,
सार ये बनती हैं।
स्वरचित
सपना (स. अ.)
प्रा.वि.-उजीतीपुर
वि.ख.-भाग्यनगर
जनपद-औरैया