
सफल जन्म मेरो भायो
मानव जीवन पा कर।
धन्य हुआ मानव जीवन
माँ बाप के संग रहकर।
कितना कुछ वो किये
मुझे पाने के लिए।
अब हमारा भी फर्ज बनता है
उनकी सेवा आदि करने का।।
सफल जन्म मेरो भायो
मानव जीवन पाकर।।
सब कुछ समर्पित किये वो
लायक मुझे बनाने के लिए।
कैसे अब में छोड़ दूँ
उनको उनके हाल पर।
नहीं उतार सकता मैं
कर्ज उनका मरते दम तक।
पर कुछ ऋण चुका सकता
उन की औलाद बनकर।।
सफल जन्म मेरा हो जायेगा
पुत्र धर्म को निभाकर।।
जब तू भी माँ बाप बनेगा
पुन: यही दोहराया जायेगा।
तेरे किये अच्छे कर्मो का
तुझे फल यही मिल जायेगा।
मात पिता से बड़कर इस
जग में और कुछ हैं नहीं।
ये बातें औलाद समझ जायेगी
फिर ईश्वर की तरह पूजेगी।।
सफल जन्म हमारा तब
ये मानव जीवन हो जायेगा।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)