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धन बरसाने आई लक्ष्मी ,घर – घर खुशियाँ छाई।
कर दरिद्र कोसों दूर, भण्डार भरने खुद माँ आई।।
भावों के दीप सजाकर, देखो कैसी रोशनी आई।
अमावस के घोर तिमिर को, जीतने रोशनी छाई।।
कतारें सज रही दीपों की, बाजार सजे धजे भाई।
रंग बिरंगे नव परिधानों में, सजे हैं जन जन भाई।।
मिष्ठानों की सजी दुकानें, व्यंजनों की बारी आई।
घेवर गुलाब जामुन मालपुए , नमकीन पुड़ी बनाई।
घर आये अतिथियों के संग संग सबने खूब उड़ाई।।
चमक रही दीवारें सारी , सज रही गली गली भाई।
रंग बिरंगी रोशनी से चमक रहे गली चौबारे भाई।।
बैलों गायों भैसों की मेहंदी भी कैसी सजी है भाई।
पूजा इनकी करके कृषकों के देखों खुशियां आई।।
ट्रेक्टर मोटर कार बसों की पूजन भी करवाते भाई।
सिंदूर कुमकुम पान इत्र अगरबत्ती की खुशबू आई।।
माँ लक्ष्मी की होती आरती , विधि विधान से भाई।
धन तेरस से भाई दूज तक, चलती है दीवाली भाई।।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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