प्रतिक्रिया : बोहल शोध मंजूषा (साहित्य, समाज और किन्नर विशेषांक)

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संपादक – डॉ. नरेश कुमार सिहाग (एडवोकेट) व अतिथि संपादक धनंजय चौहान मंगलमुखी के श्रेष्ठ संपादन में प्रकाशित बोहल शोध मंजूषा का साहित्य, समाज और किन्नर विशेषांक बहुत ही सुंदर बन पड़ा है | करीब 260 प्रष्ठों का फुल साइज में आकर्षक आवरण पृष्ठ के साथ बेहद ज्ञानवर्धक सामग्री से लबालब भरा यह अंक संग्रहणीय, पठानीय है |

  इस अंक में मेरा (मुकेश कुमार ऋषि वर्मा) का आलेख - किसी दूसरे ग्रह के प्राणी नहीं हैं : किन्नर भी प्रकाशित किया गया है | 79 शोध लेखों को विशेषांक में स्थान दिया गया है | हिंदी व अंग्रेजी के लेखों के माध्यम से किन्नर समाज के बारे में उनकी व्यथा - कथा, उनके इतिहास, उनके योगदान के बारे में बड़ी सहजता से जानकारी प्राप्त की जा सकती है |

डॉक्टर नरेश कुमार सिहाग जी हमेशा नूतन प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं | उनका यह कार्य बहुत ही काबिले तारीफ है | साहित्य, समाज, राष्ट्र की सेवा में डॉक्टर साहब सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं | उनके ऐतिहासिक कार्यों के लिए हमारी तरफ से कोटि-कोटि साधुवाद | ईश्वर कृपा से डॉक्टर नरेश जी हमेशा स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें और इसी तरह अनवरत मां भारती की सेवा करते रहें |

  • मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
    ग्राम रिहावली डाक तारौली गुर्जर,
    फतेहाबाद, आगरा

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