सोचें-समझें

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सोच-समझकर शादी करना,
बदले राज्य बिहार में।
वर्ना एक दिन जाना होगा,
सीधे जेल तिहार में।
बाल विवाह हो गया बन्द है,
बुरी नज़र को बदलें।
भूल से इनसे करें न शादी,
अखबारों में पढ़ लें।
अब न बाराती जा पाएंगे,
ठाठ से मँहगी कार में।
वर्ना एक दिन जाना होगा,
सीधे जेल तिहार में।
जो शरीफ़ होंगे समाज के,
होंगे वही बाराती।
सौ रसगुल्ले खाने वाले,
पीटेंगे अब छाती।
अब न पीकर डांस करेंगे,
सड़कों और बाज़ार में।
वर्ना एक दिन जाना होगा,
सीधे जेल तिहार में।
लेना-देना जुर्म हो गया,
है दहेज अब पाप।
देना होगा खर्च का ब्यौरा,
सोच-समझ लें आप।
हो दहेज का प्रकरण अगर तो,
कलह बने परिवार में।
इसके कारण जाना होगा,
सीधे जेल तिहार में॥
                                              #बिनोद कुमार ‘हंसौड़ा’

परिचय : बिनोद कुमार ‘हंसौड़ा’ का जन्म १९६९ का है। आप दरभंगा (बिहार)में प्रधान शिक्षक हैं। शैक्षिक योग्यता दोहरा एमए(इतिहास एवं शिक्षा)सहित बीटी,बीएड और प्रभाकर (संगीत)है। आपके नाम-बंटवारा (नाटक),तिरंगा झुकने नहीं देंगे, व्यवहार चालीसा और मेरी सांसें तेरा जीवन आदि पुस्तकें हैं। आपको राष्ट्रभाषा गौरव(मानद उपाधि, इलाहाबाद)सहित महाकवि विद्यापति साहित्य शिखर सम्मान (मानद उपाधि) और बेहतरीन शिक्षक हेतु स्वर्ण पदक सम्मान भी मिला है। साथ ही अनेक मंचो से भी सम्मानित हो चुके हैं

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