पति पत्नी की नोकझोंक

1 0
Read Time2 Minute, 32 Second

गुस्से में एक दिन पति जी,
पत्नी से कुछ यूं बोले।
तंग अा गया तुमसे मैं,
अब क्या हम तुमसे बोलें।

बैठी बैठी खाती हो ,
और मोटी होती जाती हो।
संग मेरे जब चलती हो,
मुझे जरा ना भाती हो।

एशो आराम दिए सारे ,
दे दी सारी सुख सुविधाएं।
फिर भी ना जाने क्यों ,
हैं मन में तुम्हारे दुविधाएं।

फिगर तो देखो अपना तुम,
दिखने में अच्छी ना लगती हो।
पहले मनमोहनी अप्सरा थी,
अब तुम बदसूरत दिखती हो।

मुझसे पूछो मैं सारे दिन,
दफ्तर में सिर खपाता हूं।
तब जाकर मैं चार पैसे,
घर में कमा कर लाता हूं।

इतना सुनकर पत्नी बोली,
सुनो पति महाराज।
मेरी बातें सुनकर तुम ,
मत होना नाराज ।

सुबह से लेकर रात तक,
मैं चक्की सी पिसती हूं।
तब जाकर मैं तुम सबका,
पूरा ख्याल रखती हूं।

झाड़ू, पोछा ,बरतन ,कपड़े,
सारे काम मैं करती हूं।
दर्द, बीमारी ,परेशानी में ,
कभी नाटक ना करती हूं।

सुख सुविधाओं के जो तुम ,
एहसान गिनाते रहते हो।
कर दूं कुछ फरमाइश तो,
क्यों नजरें चुराते रहते हो।

सबको खिला कर खाना मैं,
बचा खुचा खुद खाती हूं।
ना बचे जिस दिन खाना,
तो भूखी ही सो जाती हूं।

रही फिगर की बात तो सुनो,
वो भी बिगड़ा तेरे खातिर।
जन्म दिए हैं बच्चे मैंने,
तेरा वंश की खातिर।

डांट भी खाती तेरी साजन,
बेरुखी भी तेरी सहती हूं।
मेरा साजन सबसे प्यारा,
सबसे ये मैं कहती हूं।

जाओ जाओ पति जी जाओ,
तुम सच ना सुन पाओगे।
देने बैठ गई यदि मैं तुमको ,
तो हिसाब ना ले पाओगे।

मेरे बिन घर, घर ना रहेगा,
जरा सोच कर देखो ना।
हो यदि मुमकिन ऐसा तो,
कुछ दिन जी कर देखो ना।

सुन पत्नी की बातें पति जी,
मन में जरा लजाए फिर।
पत्नी से नजरें मिलाने में,
थोड़ा सा सकुचाए फिर।

मेरी जानेमन , मेरी हमदम,
क्यों दिल पे इतना लेती हो।
मैंने किया था एक मजाक ,
तुम इतना नहीं समझती हो।

रचना –
सपना (स० अ०)
जनपद – औरैया

matruadmin

Next Post

आशिक

Mon Nov 2 , 2020
पल दो पल का साथ हमारा पल दो पल की बाते हैं।। भूल चुका अब सबकुछ वो घुंधली धुंधली सी यादें हैं।। आयी विरह की रात काली वो मस्त मतवाली यादें हैं ।। वो अलबेली बात का जादू वो खिलखिलाती बातें हैं ।। जैसे अल्हड़पन तेरा था वैसी ही तेरी […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।