
अद्भुत महामानव तुमको नमन,
अर्पित करते हम श्रृद्धा सुमन।
दरिद्रता में तुम थे पले बढ़े,
बचपन बीता था मुश्किल में।
निर्धनता तुमको डिगा ना पाई,
निराशा ना अाई जरा भी मन में।
सपने देखे तुमने बड़े बड़े,
लक्ष्य पाए तुमने बहुत बड़े।
था भरोसा खुद पर इतना,
कर दिखाए काम बड़े बड़े।
आपके सामने मुश्किल भी,
एक पल भी डट ना पाए।
ठान लिया है जो मन में,
वो पूरा कर ही चैन आए।
लालच ,स्वार्थ ,झूठ ,कपटता,
जिसके मन को छू ना पाए।
प्रेम , दया और राष्ट्रभक्ति ही,
तन मन में हरपल जिसके समाए।
भेद भाव और जाति धर्म ,
किसके मन को तनिक ना भाए।
मानव का का बस एक धर्म है,
मानवता ही सबको बताए।
देश की उन्नति की खातिर,
बहु त्याग किए व किए समर्पण ।
तन ,मन, धन सब अपना जिसने,
भारत मां को सब कर दिया अर्पण।
जिसकी महिमा के वर्णन में ,
शब्द भी सारे कम पड़ जाएं।
अपने अद्भुत कार्यों से जो,
मिसाइल मैन जग में कहलाए।
अद्भुत महामानव तुमको नमन,
अर्पित करते हैं हम श्रृद्धा सुमन।
रचना
सपना( स ०अ०)
जनपद औरैया