शराब के ठेके पर उमड़ी भीड़ से क्या लाॅकडाउन खतरे में पड़ गया है?

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     लाॅकडाउन को चारों ओर खतरा ही खतरा है। वह खतरा चाहे शराब के ठेके पर उमड़ी भीडतंत्र का हो या लोकतंत्र से क्षुब्द नागरिकों का रोष हो। जबकि उक्त भीडतंत्र से जानकारी मिल रही है कि हमारा भारत सशक्त राष्ट्र है। चूंकि विश्व के किसी भी देश में ऐसा दृश्य जहां दूर-दूर तक कतारों में खड़े लाॅकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए, पुलिस की लाठियां खाते हुए, अपना रक्त बहाते हुए राष्ट्रहित में शराब खरीदने के चित्र देखने को नहीं मिले होंगे। ऐसे राष्ट्रीय कर्त्तव्यनिष्ठ क्रांतिकारियों को मेरा शत-शत नमन है। जो गरीबी रेखा से नाम कटने की चिंता न करते हुए अपनी ‘गरीबी रेखा’ की रेखा भी पारदर्शी कर रहे हैं।
     क्योंकि यह भी किसी से छुपा हुआ नहीं है कि लाॅकडाउन में इसी शराब की काला बाजारी कई गुना बढ़ गई थी। जैसे ₹500 की बोतल ₹2000 से ₹3500 तक में बिक रही थी। इसलिए शराब पर 70-75 प्रतिशत बढ़ोतरी कोई मायने नहीं रखती। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि गैस सिलेंडर तो मांगने से मिल जाता है। किन्तु ऐसे विकट समय में शराब की बूंद की सुगंध तक कोई नहीं देता। इसलिए शराब के ठेकों  पर उमड़ी भीड़ के जमावड़े का दोष ही क्या है?
     इसके साथ ही सरकार की धूल चाट रही अर्थ व्यवस्था भी इन्हीं शराबी योद्धाओं पर निर्भर है। कदाचित इसी आधार पर सरकार शराबियों को गरीब रेखा का लाभ देती है। चूंकि लाॅकडाउन जैसे संवेदनशील कोरोना कार्यकाल के शराबी भी वह बुद्धिजीवी योद्धा हैं, जो जानते हैं कि आटा दाल नमक तो सरकार दे ही देगी, परंतु उसे पचाने के लिए शराब खरीदना अत्यंत आवश्यक हैं।
     अतः इन्हीं राष्ट्रहितों के कारणों के कारण आज शराब के ठेके पर उमड़ी भीड़ को राष्ट्र हितैषियों की संज्ञा देते हुए एक बुद्धिजीवी ने उन पर पुष्प वर्षा भी की है।

इंदु भूषण बाली

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।