चूड़ियां

2
0 0
Read Time3 Minute, 12 Second
jyoti
`क्या साबित करना चाहते हो आखिर…
पुरूषों को,
चूड़ियाँ भेंट करके…..?`
कायरता, नाकारापन,या कमजोरी का प्रतीक मानते हो….?

भूल गए क्या…माँ…दादी के हाथ की,
वो हरी काँच की चूड़ियाँ….?
जो चूल्हे की आँच में तपकर,
हो जाती थी..और मजबूत।

रोटी थेपकर खेत भी खोद लेते थे,
वो चूड़ी भरे हाथ….।
सिलाई मशीन से लेपटॉप तक की यात्रा तय करते…
वही चूड़ी वाले हाथ,कलम को थाम..
क्रांति ले आए..शिक्षा के क्षेत्र में…।

समय चक्र के साथ दूसरे पहियों को भी,
अपनी मर्जी से चलाते हैं,यही चूड़ी वाले हाथ..
राष्ट्रोन्नति के यज्ञ में समिधा भी ये देते हैं।

ये कमजोरी…नाकामी का प्रतीक नहीं…
कमजोरी व कायरता है..पुरूषों को चूड़ी भेंट करना..।
अगली बार किसी निकम्मे को कुछ भेंट करना हो,
तो खोजिए कुछ और….
कुछ और….पौरुष में से….
और कुछ नहीं तो…एक पोटली,

अहं ही सही..वही दे दीजिए…

चूड़ियों की ताकत समझ जाएंगे..।

                                                                                 #ज्योति जैन

परिचय: ज्योति जैन की विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य में रुचि रही है और अनेक साहित्यिक प्रतियोगिताओं में विजेता हुई हैंl आप एयरविंग की कैडेट व बेटमिन्टन खिलाड़ी रहीं हैंl कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में १००० से अधिक लेख,कहानी,कविता,लघुकथा व समीक्षाएँ प्रकाशित हो चुकी हैंl गुजराती,पंजाबी में भी आपकी रचनाएँ अनुवादित हुई हैं तो बांग्ला-मराठी में पुस्तकें अनुवादित हैंl आपकी आकाशवाणी में सतत् सक्रियता के साथ ही भारतीय वांग्मयपीठ(कोलकाता)द्वारा `गुरूदेव रविन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत सम्मान` सहित अनेक सम्मान राष्ट्रीय-प्रदेश स्तर पर पाए हैं। पूना कॉलेज में आपकी लघुकथाओं पर शोध-पत्र तथा पूना-मुम्बई में न् सेमिनार में भी आपके शोध-पत्र प्रस्तुत हुए हैं। आप मध्य प्रदेश के इंदौर की कई प्रतिष्ठित संस्थाओं की सदस्या और पदाधिकारी भी हैं। पारम्परिक ‘माँडना’कलाकार सहित वर्तमान में निजी कॉलेज में अतिथि व्याख्याता हैं। जलतरंग व बिजूका (लघुकथा संग्रह),भोर बेला व सेतु तथा अन्य कहानियाँ (कहानी संग्रह),मेरे हिस्से का आकाश व माँ-बेटी (कविता संग्रह),पार्थ……..तुम्हें जीना होगा(उपन्यास) आदि प्रकाशन आपके नाम हैंl

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

2 thoughts on “चूड़ियां

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मॉं की पिटारी

Tue May 16 , 2017
माँ की पिटारी, बहुत याद आती हैं मां की वो पिटारी.. कहने को मॉं का घर पूरा अपना था, पर मॉं का पूरा संसार उस पिटारी में बसता थाl खत्म न होने पर भी, जाने कहाँ से कैसे कभी रूमाल में लिपटे कभी कुचले हुए, कभी किसी तह किए कागज […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।