वहशी दरिंदे 

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devendr soni

रमेश सीधा – सादा अंतर्मुखी युवक था । स्नातक के अंतिम वर्ष तक आते आते भी महाविद्यालय में उसके कोई स्थाई मित्र नहीं बने थे । रमेश के इस व्यवहार से अनेक आवारा छात्र अक्सर उसे परेशान किया करते थे । खुद को असुरक्षित पाकर भी वह सबकी अनदेखी ही करता जिससे वे और कुपित होकर उसे परेशान करते। ऐसे में सुधीर उसे अक्सर बचाता रहता था जिससे धीरे – धीरे दोनों में मित्रता हो गई । वैसे सुधीर भी बिगड़ैल युवक ही था पर रमेश के लिए यह बात मायने नही रखती थी ।
रमेश पढ़ाई में कुशाग्र था किंतु सुधीर कमजोर था । परीक्षा के समय रमेश ने उसकी मदद कर दी जिससे वे और नजदीक आ गए।
एक दिन महाविद्यालय में ” वहशी दरिंदों ” पर वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था । रमेश इस पर खूब बोला और प्रथम स्थान पर आया । सभी ने उसकी तारीफ की । इसी बात का जश्न मनाने सुधीर ने रमेश से कहा – चलो आज पार्टी करते हैं और दोनों वहां से सुधीर की बाइक पर निकल गए । एक रेस्तरां में पहुंचकर सुधीर ने मनमानी करते हुए रमेश को भी शराब पिला ही दी । अब दोनों बहक रहे थे।
रेस्तरां से निकल कर सुधीर और रमेश पहाड़ी इलाके में जा पहुंचे । उन्हें पता ही नही था कि वे जा कहाँ रहे हैं ? पास ही एक झरने को देखकर वे रुक गए । दोनों उन्मान्दित थे और उनका युवा मन हिलोरे मार रहा था । तभी उनकी नजर झरने पर नहाती हुई एक युवती पर पड़ी । वह अपनी धुन में गुनगुनाती हुई नहा रही थी ।
रमेश ने सुधीर से वापस चलने को कहा पर सुधीर तो कुछ और ही सोच बैठा था । वह दबे कदमों से आगे बढ़ा और उसने उस युवती को लगभग खींचते हुए धर दबोचा। इस समय उस पर वासना की वहशियत और दरिंदगी सवार थी । युवती चीखती रही मगर सुधीर अपने निर्लज मकसद में कामयाब हो ही गया । यह देख रमेश भी खुद को रोक नही सका और टूट पड़ा उस अनजान युवती पर ।
थोड़ी देर में ही युवती की चीख पुकार सुन ग्रामीण जन आ गए और दोनों को पकड़ लिया । पिटाई के बाद उनका जुलुस निकाल कर पुलिस के हवाले कर दिया। दोनों को सजा हो गई ।
यह कैसी दरिंदगी और वहशीपन था जिसने एक पल के जूनून में अपना विवेक खोकर तीन जिंदगियां और परिवार बर्बाद कर दिए ।
 #देवेन्द्र सोनी , इटारसी।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।