जुबां

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alok koushik
जुबां से कहूं तभी समझोगे तुम
इतने भी नादां तो नहीं होगे तुम
अपना दिल देना चाहते हो मुझे
मतलब मेरी जान ले जाओगे तुम
भड़क उठी जो चिंगारी मोहब्बत की
फिर वो आग ना बुझा पाओगे तुम
इश्क में सुकूं तभी मिलेगा जब
जिस्म से रूह में समाओगे तुम
प्यार करना कोई वादा न करना
वरना बेवफा कहलाओगे तुम
अब तो कहते हैं दुश्मन भी मेरे
‘कौशिक’ बहुत याद आओगे तुम
#आलोक कौशिक
                  परिचय:- 
                 नाम- आलोक कौशिक
                 पेशा- अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन
                 पता- कस्तूरी वाटिका, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार,  

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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