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हर चुनौती को लांघकर,
यूं पथ पर चलती जाती।
लोहा गलाकर,
युग निर्माण करती।
संघर्ष के सक्रिय पथ,
को ऊँचाई तक ले जाती।
अंधकार चीर,
प्रकाश फैलाती।
ओस की बुंद से,
अमृत वर्षा करती।
मिट्टी खोद,
सोना उगाती।
तलवार पकड़,
रणभूमि में लड़ जाती।
वही तो हैं हम,
सशक्त मनुपुत्री॥
#सुमिधा सिदार ‘हेम’
परिचय : सुमिधा सिदार का साहित्यिक उपनाम-हेम(पति का नाम और वही आदर्श)है। १३ सितम्बर १९९० को जन्मीं सुमिधा सिदार का जन्म स्थान-ग्राम कुण्डापाली है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में महासमुंद जिले के ग्राम-सरकण्डा में रहती हैं। आपकी शिक्षा-बी.ए. और कार्यक्षेत्र-सरकण्डा ही है।
सामाजिक क्षेत्र में आप लोगों को बेटी की महत्ता बताने के साथ ही हूँ तनाव से राहत के लिए हँसाने की कोशिश करती हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी,एकांकी, हाइकु,तांका एवं शायरी है। आपकी नजर में मेरी लिखी रचना कोई दूसरा पढ़ता है,वही सम्मान है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। आपके अनुसार लेखन का उद्देश्य-समाज की औरतों के प्रति है, क्योंकि,गोंडवाना समाज को निखारना है,ताकि महिला वर्ग घर,गली,गाँव से बाहर निकलकर समाज के बारे में सोंचे।
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Fri Feb 2 , 2018
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