बंद करो दहेज़ प्रथा

0 0
Read Time1 Minute, 42 Second
सुनील वर्मा
ऐ भारत के नौजवानों,
कुछ नहीं रखा है बातों में ,
बंद करो दहेज़ प्रथा को
या खुद चूड़ी पहनो हाथों में।
बापू की वो प्यारी है,
घर में राजदुलारी है..
छोड़ के सबकुछ अपना,
वो आँगन तेरे आती है।
दुनिया में तू हूँकार भरता है,
काम लाखों के करता है..
दाता होकर फिर क्यों,
झोली ससुराल में फैलाता है।
नीयत तेरी क्यों डोल गई,
शरम तेरी  कहाँ बोल गई..
जीते जी  मरने को,
एक अबला को तूने मजबूर किया।
कहा गई मर्दानगी तेरी,
औरत पे जो जुल्म इतना ढहा रहा..
मर क्यों नहीं जाता शर्म से तू,
गर बीबी-बच्चों का पेट भर नहीं पा रहा।
पढ़ा-लिखा बेटे को तूने,
इक अच्छा इंसान बना दिया..
पर शादी में दहेज़ मांगकर,अपने काबिल बेटे को
भिखारी  बना दिया।
प्यार जितना करता है,
बेटी से अपनी..
उतना बहू से जताकर तो देख,
कितना सुख है स्वर्ग में..
अपने घर को स्वर्ग बना के तो देख।
ऐ भारत के नौजवानों…।
परिचय : सुनील विश्वकर्मा मध्यप्रदेश के छोटे गांव महुआखेड़ा (जिला गुना) के निवासी हैं। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गांव एवं बाद की इंदौर से (स्नातकोत्तर)प्राप्त की है। आप लिखने का शौक रखते हैं।वर्तमान में इंदौर में प्राइवेट नौकरी में कार्यरत हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हिन्दी के लिए १४ को जंतर-मंतर पर धरना

Sat May 13 , 2017
अश्विनी कुमार `सुकरात` ================================ -शिक्षा को अंग्रेजी माध्यम के बोझ से मुक्त करने एवं परिवेश की भाषाओं में केजी से पीजी-पीएच़डी तक समान-सार्थक औपचारिक शिक्षा व्यवस्था,कानून-न्याय व्यवस्था और रोजगार व्यवस्था हो,इसलिए संविधान के अनुच्छेद 348, 343(1) & (2),351,147, 21A में व्यापक संशोधन अपरिहार्य है। इस मांग को लेकर 14 मई […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।