मित्र का अपने जीवन में क्या महत्व होता है?

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   मित्र वह जो विपत्ति में काम आए।अर्थात मुसीबत, कष्ट,आपदा,मुश्किल,संकट जैसे क्षणों मे सहभागी बने,सहयोग करे वह मित्र कहलाता है।
  दूसरी ओर जो विपत्ति,मुसीबत,कष्ट,आपदा,मुश्किल,संकट इत्यादि का कारण बने और असहयोग करे वह शत्रु से भी धूर्त माना जाता है या यूँ कहें कि जिसके ऐसे मित्र हों उन्हें शत्रुओं की आवश्यकता ही नहीं रहती।
 आज के दौर में कुछ इसी प्रकार की मित्रता के किस्से प्रचलित हैं।जो बैठते तो मित्र के पास हैं और पक्ष शत्रु का लेते हैं।क्या ऐसे मित्रों से दूरी नहीं बनानी चाहिए।क्योंकि ना जाने कब धोखा दे जाएं?जबकि सच्चाई यह है कि वर्तमान मित्र 'मित्र' शब्द की पवित्रता का अर्थ भूल चुके हैं।
कड़वा सच तो यह भी है कि ऐसे मित्रों से वह शक्तिशाली शत्रु भले जो ठेठ शत्रुता के चलते अपना-अपना रास्ता नापते हैं और अपने शत्रु के जीवन-चक्र से दूर ही रहते हैं।

इंदु भूषण बाली

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राजयोग

Mon Mar 16 , 2020
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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।