हर फसाना याद आएगा

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amit shukla
जिन्दगी का हर फसाना याद आएगा,
तुम्हारा रुठना-मेरा मनाना याद आएगा।

है भले ही दौर तुम्हारा मगर ये जान लो।
तुमको फिर बीता जमाना याद आएगा।

बात जब छिड़ जागी कसमों-वादों की कहीं।
मुकर जाना तुम्हारा,मेरा निभाना याद आएगा।

होंठों पर आए मगर गा नहीं सकते कभी।
वो अधूरा तुमको गाना याद आएगा।

जब कभी भी जिक्र कातिल निगाहों का हुआ।
तीर-ए-नजर का निशाना याद आएगा।
                                                                                   #अमित शुक्ला

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One thought on “हर फसाना याद आएगा

  1. जिंदगी बीत गई मगर,तेरा वो फसाना याद आएगा।
    तू रही या ना रही,मगर वो जमाना याद आएगा।
    हम बेवक्त चल ही दिए मुसाफिरों की तरह,
    पर तेरा वो गुनगुनाना याद आएगा,

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