
वर्षो के बाद
आज मुझ को।
मेरी दिल रुबा
मुझे आज दिखी।
यादे मेरी पुरानी
फिर ताजा हो गई।
दिल एक दम से
बहुत खुश हुआ।
जिंदगी में मजा
आज फिर आ गया।।
मधुर यादे लिए
में जी रहा था।
आज उनको देखकर
माज़ा आ गया।
मानो जन्नत मुझे
फिर से दिख गई।
जीवन में मानो फिर से बाहर आ गई।।
प्यार होता था क्या
मुझे बतलाय तुमने।
प्यार करके तुमने
आशिक बना लिया था।
दिलों का मिलन
क्या होता है।
दिल से मिलकर
दिखा दिया था तुमने।।
मधुर यादे लेकर…।।
दिल मे बस के तुम
छोड़कर फिर हमे
एक दम से तुम
कहा चले गये थे।
सोचा ही नही
मेरा क्या होगा।
तेरे बिन क्या
में जी सकूंगा यहां।।
मधुर यादे लेकर….।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।