
चलते चलते मुझे
श्रीराम मिल गए ।
चलते चलते मुझे
श्रीकृष्ण मिल गए ।
बातो ही बातो में
वो पूछने लगे।
क्या करते हो तुम?
मैने कहाँ की में
एक कवि हूँ जी।
सुनकर दोनों जन
जोर से हंस पड़े।
मैने पूछा उनसे
क्या हो गया जी।
कहने वो लगे
डरते है कवियों से।
मैने कहाँ जी
क्यो डरते हो?
कवि भी तो
एक इंसान है।
फिर इंसान से
भला क्यो डरते हो।
वो कहने लगे
कवि वो होता है।
जहां पहुंचे न रवि
वहां कवि पहुंच जाता है।
फिर हर बात का, विश्लेषण करके
लोगो को वो सुनता है।
इसलिए हम भी
डरते है उससे।
मैने कहाँ क्या
कवि झूठ लिखता है।।
वो बोले क्या जरा सुन लो तुम सब:-
में श्रीराम हूँ
जिसको तुम सब जन कहते हो मर्यादा पुरुषोत्तम।
पर क्या मेरे नाम को सार्थक तुम लोग कर रहे?
कुछ तो बोलो
पृथ्वी के वसन्दे।
कोई उत्तर हमे
नही मिला उनसे ।
इसलिए में कहता हूं सदा
मत करो बदनाम
मेरे नाम को तुम।
छोड़ दो मुझे
मेरे ही हाल पर।
हिंसा के बीज मत वोओ मेरे नाम पर।
अपनी स्वार्थ के लिए
कुछ भी किये जा रहे।
हे कवि वर मुझे
तुम बचा लीजिए।
और जन जन तक
मेरा सही संदेश
तुम पहुंचा दीजिये।
में समझ गया
श्रीराम का दर्द।
और लिख दिया मैने
मानो तो में भगवान
जानो तो भगवान
आस्था ही बची है
मन मे लोगो के
पर दिल मे नही है
अब मर्यादापुरुषोत्तम राम।।
सोते सोते ही छोड़ गये
हमे बीच मे ही श्रीराम।
और हो गई सुबह
देखते ही देखते।।
राम नवी की सभी देशवासियों को बहुत बहुत शुभ कामनाएं और बधाई की आप सभी रामजी के आदर्शों को माने और उसी पथ पर आगे चले। यही गीत सभी लोगो को मेरा समर्पित है।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।