अथ श्री बेटी शतक

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1.👩
बेटी घर री लाडली, माँ बापाँ रो चैन।
दिनकर छाया धूप जिमि, तारा छाई रैन।।
2.👩
बेटी घर री लिच्छमी , सरस्वती रो रूप।
नव दुर्गा रो भेष या, जमना गंग सरूप।।
3.👩
बेटी घर री देहरी , दादा दादी साथ।
प्रात नमन दोपहरिया, संध्या बाती हाथ।।
4.👩
बेटी घर री आरती, शान मान अरमान।
कुटम कबीला सेतु सी,धरती अर् असमान।।
5.👩
बेटी घर री रोशनी, धरा करै उजियार।
शिक्षा री सौगात है, बणै प्रगति हथियार।।
6.👩
बेटी सृष्टि प्रसारणी ,जग माया विस्वास।
धरती पै इमरत रची, काया साँसो साँस।।
7.👩
बेटी जग दातार भी ,यही जगत आधार।
जग री सेतु समन्द यै, जण मन देवा धार।।
8.👩
बेटी, माँ संसार री, धरा अमोलक मोल।
कर्म धर्म संस्कार सत,संस्कृति इक अनमोल।
9.👩
बेटी खेवण हार है, जग नौका दरियाव।
शुभदायी कुल पालकी, सत्य सुमंगल भाव।।
10.👩
बेटी प्राकृत धार है , प्राकृत री बरदान।
प्राकृत री ही उपज है, प्राकृत री अरमान।।
11.👩
बेटी गुण री खान है, त्याग मान बलिदान।
राज धर्म तन तीन रो, सत्य शुभ्र अभिमान।।
12.👩
बेटी निज रो हनन है,पर ता रो निज मान।
लघुता री बेड़ी नही, प्रभुता रो दिव मान।।
13.👩
बेटी, सोना पालकी , चाँदी री पतवार।
दोनी कुटमाँ तारती, जग भवसागर पार।।
14.👩
बेटी गीता पाठ है, रामायण ‘र’ कुरान।
बाईबिल री शान है, महाभारती आन।।
15.👩
बेटी नदिया तीर पर, नौका विहग विमान।
दो पाटाँ नै पाट दे, ऐसा सेतु महान।।
16.👩
बेटी देश विदेश मैं , यादाँ अर् अरमान।
निजतापरतामैं पलै,तजती मिथअभिमान।।
17.👩
बेटी, घर री सौम्यता, सुख संपत रो रूप।
परिवर्तन री लहर ज्यूँ ,करै रंकपति भूप।।
18.👩
बेटी , पत्नी मात सब, एक सत्य मय सार।
रचनाधारा ब्रह्म सी, शिव सी गरलाधार।।
19.👩
बेटी सिय सी त्याग मयि, राधा रूप अरूप।
पांचाली सी जिद बड़ी, यसुदा री प्रतिरूप।।
20.👩
बेटी जनमन कामना, परणावन आधार।
मात रूप सेवा जतन, भली करै करतार।।
21.👩
बेटी बरगद छाँव सी, शीतल मंद बयार।
विंध्याचल सी थिर रहे, कलकल गंगाधार।।
22.👩
बेटी नभ री बादल़ी, बरषा बूंद बहार।
आपा तजतीओसकण,जग री सिरजनहार।
23.👩
बेटी कुल री जामनी, कुल री पालनहार।
सत सज्जन संतान री, नौका तारनहार।।
24.👩
बेटी व्रत त्यौहार री, सामाजिक सद्भाव।
कुटुम पड़ोसी जोड़ती,श्रद्धा भक्ति सुभाव।।
25.👩
बेटी तप आराधना , श्रद्धा जप उपवास।
दानधर्म सतकर्म फल,तनमनवच विशवास।।
26.👩
बेटी सविता रश्मि है, धरती रो सिणगार।
जन गण मन रा गीत ज्यूँ,भारतीय सत्कार।।
27.👩
बेटी रक्षा सूत्र है, रोल़ी मोल़ी डोर।
संध्या वंदन आरती, प्रात नमन् शुभ भोर।।
28.👩
बेटी सुर संगीत है ,नृत्य गीत गम्भीर।
सरगमसाज पुनीत शुभ,लयपरवाजसुधीर।।
29.👩
बेटी पावस तीज है, सावण झूला डोर।
इन्द्र धनूषी साँझिया, भादौ राखी डोर।।
30.👩
बेटी षटरितु लाड़ली, शीत घाम बरसात।
हेमंती दिवसाँ शिशिर ,बासन्ती परभात।।
31.👩
बेट़ी खग हारिल बणै, सेवै दोनी ठाँव।
इक पग वै ससुराल रम, दूजै पीहर पाँव।।
32.👩
बेटी गीता सार सी, कर्म योग प्रतिमान।
ग्यान,धर्म मर्याद सत, रामायण सनमान।।
33.👩
बेटी वेद, पुराण सम, सुफल मंत्र रो सार।
ममता री मूरत सुघड़, भली रची करतार।।
34.👩
बेटी यसुदा मात है, कौशल्या सो नेम।
रानी लक्ष्मी सो निभै, जनम भौम रो प्रेम।।
35.👩
बेटी सब न्यौछारती, देश धरम हित मान।
पती पूत भ्राता करै, जनम जनम बलिदान।।
36.👩
बेटी विष्णू संगिनी, कामधेनु सी गाय।
सागर मंथन ऊपजी,पुण्य धरा पर आय।।
37.👩
बेटी तीरथ धाम सब ,मंदिर मठ ,दरगाह।
काशी काबा द्वारिका,कौशल,पुरि,नरनाह।।
38.👩
बेटी जिण घर नीपजै, प्रेम पुन्य, सतकाम।
इण बिन जीवन है वृथा, मनोविधाता बाम।।
39.👩
बेटी जिण घर बासती, सत्य, अहिंसा, प्रीत।
इणबिन दर नहि ऊजल़ै,भरतखण्ड युगरीत।
40.👩
बेटी, जन्म मिनख पणै, पुण्य कर्म रो हेतु।
लख चौरासी जीव में,सत चित आनँद सेतु।।
41.👩
बेटी भोजन भक्ति सी, परमात्मन् रो भोग।
सत्य सनातन आरती ,पावन शुभ संजोग।।
42.👩
बेटी,जिण शिक्षा दई , वै शिक्षक,पितुमात।
जनम सुधारै आपरो, दुई घराँ परभात।।
43.👩
बेटी नै शिक्षित करौ, लाड प्यार, मनवार।
भवसागर नैय्या फँसै, तो जीवन पतवार।।
44.👩
बेटी शिक्षा ले रही ,ग्यान मान संस्कार।
अपणै हकों हकूक री, इब चेतन दरकार।।
45.👩
बेटी जन्मत जागताँ, सनातनी संस्कार।
बिनसंस्कारा मिनखड़ा, फसलाँ खरपतवार।।
46.👩
बेटी, जीवन जीवणों, सद गुण सद् आचार।
खाणपीण अर सोवणो,पशु वा मिनखाचार।।

  1. 👩
    बेटी गुण री पोटल़ी ,मिनखा री पहचाण।
    बेगुण औगुण गुण तमों,पशु जीवन परमाण।
    48.👩
    बेटी मन धीरज बड़ो, सत मित मंगल काम।
    इण खोया संसार मैं, हुवै विधाता बाम।।
    49.👩
    बेटी, धीरज धारणो, जद जामै परिवार।
    हाथ न सरसों नीपजै, बीज, धरा कुलसार।।
    50.👩
    बेटी, दौरो जीवणो, तज, आपो अभिमान।
    इक तज दूजै साधताँ, आन मान अरमान।।
    51.👩
    बेटी,आपा त्याग कर, बणै बीज दरखत्त।
    बिन छीजै सागर नदी, किण बरषै अमृत्त।।
    52.👩
    बेटी निज सूँ पर बड़ी,परता हित निज अंत।
    दरखत पतझड़ रै बिना,क्याँकर रचै बसन्त।।
    53.👩
    बेटी दीपक बाति सी , दीवाली उजियास।
    जबलगि घीरत पूरता, तबलगि देय प्रकाश।।
    54.👩
    बेटी जगमग चाँदणी, शीत काल सी धूप।
    सब नै नेह दुलारती ,त्याग प्रेम प्रतिरूप।।
    55.👩
    बेटी विद्यादान है , करणी कन्या दान।
    मायड़ रो सम्मान या , बाबुल रो अरमान।।
    56.👩
    बेटी रतन अमोल है , सृष्टि चराचर देख।
    त्याग मान अनुराग री,बणी अलौकिक रेख।।
    57.👩
    बेटी कवि री लेखणी, शूरातन हथियार।
    श्रेष्ठिजणाँ री लिच्छ्मी, सृष्टि धरा आधार।।
    58.👩
    बेटी धुरी विकास री, कुल री खेवण हार।
    देश धर्म मर्याद री, साँची पालण हार।।
    59.👩
    बेटी, हाड़ी राणि ज्यूँ, चूड़ावत सिणगार।
    ममतज पन्नाधाय सी, इन्दिरा सी ललकार।।
    60.👩
    बेटी कुमकुम आरती, चन्दन फूलाँ माल़।
    धूप दीप नैवेद्य जल,जप तप पूजण थाल़।।
    61.👩
    बेटी जीजा बाइ ज्यूँ, त्यार करै शिवराज।
    मातृ भोम हित जे बणै, छत्रपती महाराज।।
    62.👩
    बेटी शबरी भिल्लणी , सत,पत को उपदेश।
    बेर खाय दरशन मतै, प्रभु बन वासी भेष।।
    63.👩
    बेटी अत्री पत्नि सी, तप मूरत लवलेश।
    सत मारग सत कर्म रा, सीता नै उपदेश।।
    64.👩
    बेटी सावितरी हुई, जग में एक अनूप।
    पति रा जीवण रक्ष हित,अड़ी रही यमभूप।।
    65.👩
    बेटी खेजड़ली चिपक, रची अमृता रीत।
    वन रक्षा,पशु पक्षि अर्, प्राणी प्राकृत प्रीत।।
    66.👩
    बेटी रण रजपूत री, पद्मनियाँ चित्तौड़।
    जौहर मै वै कूदती, राज प्राण सब छोड़।।
    67.👩
    बेटी मीराँ बाइ जी, प्रेम भक्ति लवलीन।
    राज ठिकाना देहसुख,तज वृन्दावन लीन।।
    68.👩
    बेटी, सुर संगीत री, लता बढ़ी शुभ नाम।
    आशा धनधन भारती, सुर संगम सरनाम।।
    69.👩
    बेटी पाल बछेन्दरी , पर्वत पर चढजाय।
    रची कल्पना चावला, अंतरिक्ष मैं जाय।।
    70.👩
    बेटी सिंह सपूत जण, सांगा, वीर ,हमीर।
    पृथ्वीराज सुवीर जन, दुर्गादास सुधीर।।
    71.👩
    बेटी साँची प्रीत है, भाव भक्ति विशवास।
    मदर टरेसा देश मैं, दीन दुखी री आस।।
    72.👩
    बेटी प्रेरक बण रचै, सुवर्ण मयि इतिहास।
    चौहान सुभद्रा जियाँ, लिखै देश री साँस।।
    73.👩
    बेटी इण संसार मैं, सागर मछली जान।
    महादेवि वर्मा जियाँ, दुख री बदली मान।।
    74.👩
    बेटी रजिया सल्तनत, पहली शासक होय।
    इल्तुतमिस रा नाम रो, राज काज सै जोय।।
    75.👩
    बेटी ,भारत कोकिला , सुर सरोजनी शाम।
    विजया लक्ष्मी पंडिता,अमरीका तक नाम।।
    76.👩
    बेटी देश विदेश मैं , कंचन कला लुटाय।
    कुम्भी सीता सी सुता, सर्प सरी लहराय।।
    77.👩
    बेटी , इक घटना हुई , गौतम पत्नी सोय।
    चरण परस श्री राम जी, मोक्ष अहल्या होय।।
    78,👩
    बेटी पूजा आरती , सब कोई रै होय।
    शिक्षित नारी भारती, रहै विकार न कोय।।
    79.👩
    बेटी, गायत्री हुई , पुष्कर ब्रह्मा यज्ञ।
    तीरथ पुन्य सरोवराँ, भरतखण्ड नहि अज्ञ।।
    80.👩
    बेटी गांधारी बणी , शत पूताँ महतारि।
    आँख्याँ पाती धारती, छाया निज भरतार।।
    81.👩
    बेटी कर्मा नै रची , जौहर पैली पीर।
    मायड़ रक्षा कारणै, बणाँ हुमायू बीर।।
    82.👩
    बेटी नर्मद नीर ज्यूँ , काँकर शंकर होय।
    शिशु नै दे दे सीखड़ी, माणस मिनखा सोय।
    83.👩
    बेटी, नदियां नीर नै , बाँधै धीर सपूत।
    नाही तो सागर मिलै, खारो पणो अकूत।।
    84.👩
    बेटी शीत बयार सी, हरै थकावट घाम।
    पुरवाई रा मेह ज्यूँ, फसलाँ दे आराम।।
    85.👩
    बेटी सकल जहान् मैं, संस्कृति री आधार।
    देश धर्म इंसानियत, जन गण मन पतबार।।
    86.👩
    बेटी, हरिश्चन्द्र जियाँ, कदै न सत्य डिगाय।
    राज धर्म धन सुत सबै, सत रै पाण गँवाय।।
    87.👩
    बेटी गुरु पित मात री, आज्ञा रो आशीष।
    राम लषन सीता हनू , त्रेता युग री सीख।।
    88.👩
    बेटी, तुलसीदास जी, रची कथा अनमोल।
    रत्नावली री प्रेरणा, रामचरित मुख बोल।।
    89.👩
    बेटी, काली दास नै , लिखे संस्कृत ग्रन्थ।
    निज पत्नी अभिलाष वै,माणस जेड़ो पंथ।।
    90.👩
    बेटी निज मन री व्यथा,खुद ही कर उपचार।
    भीतर बाहिर झाँक मन, आपू आप विचार।।
    91.👩
    बेटी ईद दिपावली , तीज और गणगौर।
    सबसूँ हिलमिल रैवणो, होली राखी डोर।।
    92.👩
    बेटी हजरत महल सी, चेनम्मा सी होय।
    देश धर्म मरजाद हित, जीवन बाती खोय।।
    93.👩
    बेटी ,निज दुख ताड़ना, मती बणाजे ताड़।
    अपणै घर री लिच्छमी, सबका हेतू ताड़।।
    94.👩
    बेटी, बिण कर्तव्य रै, मिलै कठै अधिकार।
    त्याग, कर्म,तप साधना, संघर्षण कर तार।।
    95.👩
    बेटी, मिथ अभिमान नै, तजो हेतु परिवार।
    स्वाभिमान निज राखणो, तब चालै घरबार।।
    96.👩
    बेटी बरगद काट मत , रोपै पेड़ विदेष।
    समझ विवेकी जे रखै, हानि लाभ ले देष।।
    97.👩
    बेटी,निज घर खाक रो,करो आनि थाँ लाख।
    चाहो तो सौ लाख लख,चाहो तो सो लाख।।
    98.👩
    बेटी निज घर री विथा, करो न विथा प्रचार।
    निज दुखसुख नै झेलणो, हाँसी पर परचार।।
    99.👩
    बेटी निज घर राख रो, तो भी सुरग समान।
    पर घरसुख नहि ताकणो,लंका स्वर्ण अमान।
    100.👩
    बेटी नित सादर रहै, सब घर सब परिजान।
    झूठाँ सुपना भूल कर, कर्म गीत परमान्।।

👩 “इति श्री बेटी शतक” 👩.

नाम–बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः 10

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।