
तुम दीप जलाते हो,
में रोशनी देता हूँ।
तुम दिल जलाते हो,
में खुद जलता हूँ।
तुम प्यार करते हो,
हम प्यार निभाते है।
तुम खूबसूरती देखते हो।
में गुण तलाशता हूँ।
तुम्हे अमीरी भाती है।
मुझे इंसानियत आती है।
तुम दिखावा करते हो।
हम हकीकत देखते है।।
कहाँ जाएं कहाँ नही जाएं,
समझ नही आता।
पर में जहां जाता हूँ
छाप छोड़कर आता हूँ।
तुझे प्यार मुझसे हो गया।
पर प्यार किया नही जाता हो जाता है।
दिल दिया नही जाता
चला जाता है।
हम इसी ओर बड़ रहे है,
पर जमाने से डर रहे है।
की क्या कहेंगे लोग हमें।
पर दिल से कहे तो प्यार,
हम भी करने लगे है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।