ब्रह्माकुमारीज ने किया नये ज्ञान द्वारा नया भारत राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

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नई दिल्ली |

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रभाग द्वारा नये ज्ञान द्वारा नया भारत विषय को लेकर डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक,विशिष्ट अतिथि यूजीसी के चेयरमैन डिंपी सिंह की मौजूदगी में स्वागत सम्बोधन करते हुए ब्रह्माकुमारीज संस्था के कार्यकारी सचिव व शिक्षा प्रभाग प्रमुख बीके मृतुन्जय भाई ने नई शिक्षा नीति में स्प्रिचुअल व वैल्यू एजुकेशन को स्थान देने का सुझाव दिया।उन्होंने शिक्षा व भोजन को मौलिक अधिकार में शामिल कर निशुल्क उपलब्ध कराने की बात कही।उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था का परिचय भी विस्तार से दिया और हिंदी को देशभर में अपनाने का सुझाव दिया।चर्चित लाईफ मैनेजमेंट स्पीकर बीके शिवानी ने कहा कि यदि हम अच्छा चाहते है तो अपने संस्कार बदले तभी अच्छी दुनिया बन सकती है।पहले घर मे बच्चे को संस्कार मिलते थे,शिक्षा विद्यालय में मिलती थी।आज घर संस्कार विहीन हो गए है।इमोशनल हैल्थ का ध्यान न रखने के कारण भारत अवसाद में पहले स्थान पर पहुंच गया है जो चिंताजनक है।अवसाद भारत मे म्रत्यु का दूसरा कारण सन 2022 तक बन जाएगा।
गुलबर्ग विश्वविद्यालय के कुलपति एस पी मिलकरी ने कहा कि समाज के समग्र उत्थान के दृष्टिगत ही नई शिक्षा नीति बनाई जानी चाहिए।उन्होंने ने कहा कि मूल संस्कार बच्चे को माता पिता से ही मिलते है जिसका प्रभाव बच्चे के जीवन पर जीवनभर रहता है।उन्होंने मेडिकल व इंजीनियरिंग के बच्चों में बढ़ते डिप्रेशन की जानकारी दी।
यूजीसी चैयरमैन धीरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि नये भारत के लिए नई शिक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है जिसके लिए भारत सरकार निरन्तर शिक्षा नीति में बदलाव पर काम कर रही है।उन्होंने मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखियाल के इस ओर किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की।नई शिक्षा के नये भारत को समझना पड़ेगा।आध्यात्म हमे जीवन जीने की कला सीखाता है और सकारात्मक दृष्टि विकसित करता है।हमे भटकाव का रास्ता छोड़कर रचनात्मक मार्ग पर भारत को लेकर चलना होगा।
नई शिक्षा नीति के लिए अभी तक एक लाख से अधिक सुझाव आ चुके है।नई शिक्षा नीति के लिए मूलभूत तत्व पर कसम शुरू हो चुका है।
अध्यक्षता कर रही बीके चक्रधारी दीदी ने कहा कि जब तक भारत मे आध्यात्मिक सोच विकसित नही होगी तब तक भारत गौरवमयी नही हो सकता।आज रोगियों ओर बन्दियों की बढ़ती संख्या भारत की अशांत व तनाव पूर्ण हालत को बयान करती है।स्वच्छता अभियान ठीक है लेकिन जो मानसिक गन्दगी बढ़ रही है उसको रोकने के लिए क्या किया गया।आज शराब की दुकानें निरन्तर खुल रही है,इनसे कैसे स्वच्छ भारत बन सकता है।ईश्वरीय विश्वविद्यालय का धेय यही है कि हम श्रेष्ठ बने।
बीके शुक्ला दीदी ने अपने आशीर्वचन करते हुए कहा कि नये भारत के निर्माण की कलम यानि पौध ब्रह्माकुमारीज संस्था के माध्यम से भारत मे ही नही दुनिया मे लग चुकी है।उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली प्रसन्नता दायक नही है।बहुत अच्छे अच्छे भाई बहन भौतिक वाद से ग्रसित होकर डिप्रेशन का शिकार हो रहे है।यह सब अध्यात्म के माध्यम से ही ठीक हो सकता है।सम्मेलन के मुख्य अतिथि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियल निशंक ने कहा कि मुझे खुशी है प्रधानमंत्री के नये भारत के निर्माण के लिए नई शिक्षा नीति को लेकर ब्रह्माकुमारीज ने यह भव्य आयोजन किया है।उन्होंने बीके शिवानी के मानवीय मूल्यों से जुड़े उदबोधन की सराहना की।उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी होती है इसलिए इसे मजबूत रखना जरूरी है।अपने को भूलने से जो जीवन मे खाई बनती है उसे पाटना जरूरी है।उन्होंने अपने सम्बोधन में नालन्दा,विक्रमशिला, जैसे पुरातन विश्वविद्यालयो को शिक्षा की आधार शिला रखने के लिए उल्लेख लिया।उन्होंने लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्दति को काले अंग्रेज पैदा करने वाली बताया।उन्होंने इसे बदलने के लिए ही नई शिक्षा नीति का निर्माण किया जाना बताया।संस्कार विहीन व्यक्ति मरे हुए व्यक्ति की तरह है।
हर आदमी की अपनी प्रकृति होती है,अपनी प्रकृति से इधर उधर हुआ तो उसकी पहचान हो जाएगी।अपने धाराप्रवाह सम्बोधन में होने कहा कि जिसकी सोच छोटी है वह कभी बड़ा नही हो सकता।बड़ा होने के लिए बड़ी सोच होना जरूरी है।उत्तराखंड की ऐतिहासिक विरासत को सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि भारत पहले भी विश्व गुरु था आज भी विश्व गुरु है।
उन्होंने ब्रह्माकुमारीज द्वारा दुनिया के 140 देशों में चलाये जा रहे विश्व परिवर्तन अभियान की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।भारत के निर्माण में यदि कही जंक रूपी अवरोधक है,उसे दूर करना है।नई शिक्षा नीति के लिए आये एक लाख से अधिक सुझाव में से लगभग 60 प्रतिशत सुझाव पहले से ही नये शिक्षा प्रारूप में समाहित है।
डॉ निशंक ने जहां नई शिक्षा नीति में सुझाव की समय सीमा 15 दिन ओर बढाने का एलान किया वही बच्चों को प्रतिदिन एक लीटर पानी बचाने व एक पेड़ लगाने के नम्बर परीक्षा में जोड़ने की व्यवस्था लागू करने की घोषणा की।
इस सम्मेलन में राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के पूर्व सदस्य डा योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण ,पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ महावीर अग्रवाल,साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ,समेत कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षा संस्थानों के अध्यक्ष, ब्रह्माकुमारीज संस्था से जुड़े भाई बहनों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।