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कैसे कह दूं कि मैं पीता नही हूँ।
रोज जीने के लिए में पीता हूँ।
जिंदगी में इतना सहा है हमने।
न पीते तो कब के मर गए होते।।
बहुत जालिम हैं ये दुनियां ।
बिन छेड़े लोग रह नहीं सकते।
शांति से वो जीने नहीं देंगे।
उन्हें जख्मो पर नमक लगाना हैं।
उस दर्द को सहने हमे पीना हैं।।
कितने गमो को दिल में रखे हुए है।
उन्हें रोकने के लिए हमें
पीना हैं।
वरना मुझे मौत गले लगा लेगी।
और निर्दोष होकर भी गुनेहगार बन जायेंगे।।
पीना तो एक बहाना हैं,
जिंदगी जीने के लिए।
न पिऊ तो लोग,
घावों पर घाव देंगे।
और जिंदा होते हुए भी मारे हुए दिखेंगे।
इसलिए जिंदादिली के साथ,
जीने के लिए पीना है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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Thu Jul 25 , 2019
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