रामजन्मभूमि मंदिर: आस्था के प्राण की होगी प्राण-प्रतिष्ठा

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सैकड़ों सालों के संघर्ष, हज़ारों लोगों द्वारा सही यातनाएँ, हज़ारों कारसेवकों का बलिदान, गहमागहमी और चुनावी मुद्दों में झूलती जन्मभूमि के अस्तित्व की कहानी और तो और जन्मभूमि के स्थान की सटीक व्याख्या के लिए भी न्यायालय का हस्तक्षेप, तब जाकर कहीं यह निर्णय हुआ कि विवादित स्थल ही प्रभु श्री राम की जन्मस्थली है और फिर कहीं जाकर पाँच अगस्त की तारीख़ पर हो रहा है जन्मभूमि तीर्थ के मंदिर का शिलान्यास।
सनातन सत्य है कि सरयू के पानी की यही विशेषता है कि वह केंद्रीय नेतृत्व का क़द तय करती है। सनातन काल से आर्यव्रत भारत के प्रतिनिधि और राजा यानी क़द सरयू से ही तय होता आ रहा है।राघवेंद्र राजा राम से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी के क़द का आंकलन और मीटर अयोध्या से ही तय हुआ है। आज भी जब भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण हेतु शिलान्यास करने जा रहे हैं तो वैश्विक आधिपत्य से स्वीकार्य नेतृत्व के रूप में पहचान पा रहे हैं।लगभग 492 वर्षों के संघर्ष के उपरांत रामलला तंबू से मंदिर में प्रवेश करेंगे।
 *शिला की जगह लगे हैं प्राण*  *तभी हो रहा मंदिर निर्माण* 
कहते हैं, वर्तमान में जिस मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, उसके लिए सत्तर से अधिक बार संघर्ष हुआ, लाखों लोगों के सतत संघर्ष और आंदोलन के माध्यम से यह स्वर्णिम दीपोत्सव मनाया जा रहा है। उन लाखों कारसेवकों के अभिन्न योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। कोठारी बंधुओं का साहसिक बलिदान इस बात का गवाह है कि बाबर की करतूत ने भारत की आस्था के प्राण को कई वर्षों तक तंबू में रहने पर विवश किया। ख़ैर, राघवेंद्र तो अपने यौवन काल से ही राजसी वैभव से चिर वंचित ही रहे हैं, कभी चौदह वर्षों का वनवास तो कभी माता सीता के वनवास के कारण अपने ही महल में सभी विलासिता को त्याग कर संतत्व जीवन जीते हुए प्रजापालक बने।ऐसे प्रजापालक, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण मानवजाति की आस्था के प्राण हैं।
 *हे राम! आप ही देना सद्बुद्धि और सामर्थ्य* 
शिलान्यास उपरांत एक नए राजनैतिक समीकरण और व्यक्तित्व का नवनिर्माण हो रहा है, नरेंद्र मोदी अब न केवल भारतीय जनप्रियता प्राप्त करेंगे अपितु वैश्विक रूप से एक राष्ट्र में व्याप्त कई विवादित मुद्दों को एक साथ हल करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन जाएँगे, जिन मुद्दों में तीन तलाक़, धारा 370, धारा 35ए, सीएए, एनआरसी, और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण मुद्दा शामिल हैं। अब अहम का प्रादुर्भाव होना आरम्भ होगा चूँकि यह कलयुग है, और अहम और वहम से अच्छे-अच्छे सुयोग भी कुयोग में बदल जाते हैं, ऐसा इतिहास गवाही देता है, इसीलिए हे प्रभु श्री राम! अब आप ही इस आपदा से नरेंद्र सहित सम्पूर्ण राष्ट्र को बचाना।ईश सत्ता पर प्रगाढ़ विश्वास ही भारत की संप्रभुता के प्राणबन्ध है, और अपने आराध्य से वंदना में भी प्रेम और अधिकार ही झलकता है। प्रभु ही सद्बुद्धि देते हुए प्रत्येक देवकार्य करवायेंगे, यही विश्वास भारत को अदम्य और साहसिक राष्ट्र बनाता है।
जन्मभूमि विवाद का अंत भारत की राजनीति में नए क़द के आगमन की भूमिका भी माना जा सकता है। आगे जो होगा वो तो ईश्वर जाने किन्तु वर्तमान में तो विपक्षी और भाजपा विरोधियों की हालत ज़रूर पतली हो चुकी है। यह भी राजनैतिक परिवर्तन की ओर इशारा करता है।

*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।