हिन्दू तीर्थस्थलों व तीर्थयात्राओं का विकास ही जम्मू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग बना सकता है

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VHP Presi Kokje addressing KPS Baithak in Jammu
जम्मू कश्मीर केवल यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण ‘धरती का स्वर्ग’नहीं है अपितु विहिप की प्रबंध समिति का यह स्पष्ट अभिमत है कि यहाँ के तीर्थस्थल, तीर्थयात्राएँ, मंदिर एवं ऐतिहासिक स्थल समग्र रूप से मिलकर ही इस स्वर्ग को अलौकिक रूप प्रदान करते हैं। इन पावन स्थलों के बिना यह धरती न स्वर्ग बन सकती है और न यहाँ का वैशिष्टय बना रह सकता है। इन तीर्थयात्राओं का विकास करके, तीर्थस्थलां को भव्यता प्रदान करके तथा मंदिरों को सुरक्षा प्रदान करके एवं वहाँ परम्परागत रूप से पूजा-अर्चना सुनिश्चित करके ही जम्मू-कश्मीर की आत्मा को पुष्ट किया जा सकता है।
पाक-अधिकृत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के नजदीक स्थित शारदा पीठ न केवल शक्तिपीठ है अपितु ज्ञान अर्जन का बहुत बड़ा केन्द्र रही है। यहाँ पर स्थित विश्व विद्यालय में एक समय में पाँच हजार छात्र पढ़ा करते थे। यह पीठ जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य के साथ भी जुड़ी है। कल्हन व अभिनव गुप्त जैसे प्रकाण्ड विद्वान भी इस विश्वविद्यालय से जुड़े थे। पूरे देश के हिंदुओं की आस्था का यह महत्वपूर्ण केन्द्र रही है। कांगड़ा फोर्ट जम्मू में आयोजित विहिप की प्रबंध समिति की यह सभा भारत सरकार से आग्रह करती है कि वे पाकिस्तान सरकार से पुरजोर आग्रह करके शारदा पीठ को हिंदुओं के लिए खुलवाए और इसके संचालन का अधिकार आस्थावान हिंदुओं को सौंपना सुनिश्चित करवाए जिससे परंपरागत रूप से पूजा-अर्चना की जा सके। विश्व हिन्दू परिषद केन्द्र सरकार से यह भी अपील करती है कि वे शारदा कॉरीडोर का निर्माण करवाएँ जिससे यात्री बिना वीजा व परमिट के यात्रा सम्पन्न कर सके।
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा विश्व की सबसे दुर्गम यात्राओं में से एक है। परन्तु इसके सबसे छोटे, अच्छे और सुविधाजनक मार्गों में से एक मार्ग लद्दाख की ओर से जाता है। लेह से केवल 2 दिन में सड़क मार्ग द्वारा मानसरोवर के बेस कैम्प में पहुँचा जा सकता है। विहिप केन्द्र सरकार से माँग करती है कि वे चीन सरकार से बातचीत करके इस मार्ग को खुलवाए।
अमरनाथ यात्रा हिंदुओं की भारत में सबसे पावन व दुरुह यात्राओं में से एक है। उनको सुविधाएँ देना व मार्ग की कठिनाइयों को न्यूनतम करना राज्य सरकार व बाबा अमरनाथ श्राईन बोर्ड का वैधानिक दायित्व है। कुछ सुविधाएँ दी भी गई हैं, इसके लिए बोर्ड प्रशंसा का पात्र है; परन्तु अभी यात्रा को और अधिक सुगम किया जाना शेष है। इस यात्रा के लिए केबल कार (CABLE CAR) की अनुशंसा कई बार की जा चुकी है। बोर्ड के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ने ग्रीन ट्रिब्यूनल की एक बैठक में यह लिखकर भी दिया है कि वे इस पर काम कर रहे हैं। विहिप की प्रबंध समिति जम्मू-कश्मीर के महामहिम राज्यपाल से अनुरोध करती है कि वे इस विषय पर तीव्रता से काम करने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दें जिससे अगली यात्रा में केबल कार (CABLE CAR) का उपयोग हो सके। यह सबसे सुरक्षित व प्रदूषण मुक्त साधन सिद्ध होगा। ऐतिहासिक रूप से यात्रा 6 अलग-अलग मार्गों से जाती रही है। एक मार्ग जो सबसे छोटा व सुरक्षित है, वह कारगिल से होकर जाता है। उस पर विशेष करणीय कार्य भी नहीं है। अतः इस मार्ग से भी यात्रियों को जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
कश्मीर घाटी में हिंदुओं के सैकड़ों मंदिरों और उनकी जमीनों पर अवैध कब्जे किए जा चुके हैं। कई मंदिरों के ऐतिहासिक व पवित्र स्वरूपों को खण्डित भी किया जा चुका है। महामहिम राज्यपाल महोदय से अपील है कि उन सभी मंदिरों व उनकी जमीनों को चिह्नित करके उन पर अवैध कब्जे हटाए जाएँ। इन मंदिरों की ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए जिससे उन सब मंदिरों में परंपरागत रूप से पूजा-अर्चना प्रारंभ की जा सके तथा जम्मू-कश्मीर में पीड़ित हिंदू समाज को न्याय दिलाने व जम्मू-कश्मीर की न्याय व्यवस्था में उनका विश्वास लौटाने में उपरोक्त कदम निर्णायक सिद्ध हो सके।

प्रस्ताव :अभिषेक गुप्ता, जम्मू
अनुमोदक :गाला रेड्डी, भाग्य नगर

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।