मधुर वचन ही बोलिए, सबके मन हर्षाय।
कर्कश वाणी आपकी, सबको नहीं सुहाय।
काम तू ऐसा कीजिए, जग में हो पहचान,
नेक कर्म का फल मिले, लोग करें गुणगान।
मात-पिता के चरण में, होते चारों धाम,
उनकी तुम सेवा करो, बनते बिगड़े काम।
प्यार भरे अनमोल पल, थामें रखना हाथ,
गलतफहमी न हो कभी, बिछुड़ न जाए साथ।
स्नेह और विश्वास है, सबके दिल में प्यार,
मिलजुलकर रहते यहाँ, बना सुखद परिवार।
मात-पिता तो सोचते, बेटा बने महान,
पढ़-लिखकर ज्ञानी बने, ऊँची भरे उड़ान।
मीठे तेरे बोल है, जैसे मिश्री घोल,
राम-राम रटता फिरे, राधे-कृष्णा बोल।
समझाना चाहा मगर, समझ न पाए बात,
बोल बोल कर थक गई, फर्क न कोई गात।
नेक कर्म करते रहो, मन को तुम समझाय,
बदनामी हो गई यदि, फिर पीछे पछताय।
मात पिता की बात को, सदैव लेना मान,
अच्छी सीख मिले तुझे, तभी बढ़ेगी शान।
#सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा(उत्तरप्रदेश)
नाम :- सुमन अग्रवाल
पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल
माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी
शिक्षा :-बी. ए.
व्यवसाय :- हाउस वाइफ
प्रकाशित रचनाएँ :-
प्रकाशित रचनाओं का विवरण :-
1.अग्रवंश दर्पण :-“नारी सुरक्षा चूंक कहाँ “, “महिला सशक्तिकरण “, “500-1000 के नोट बाय-बाय”, “दहेज प्रथा”, “अग्रप्रर्वतक महाराज अग्रसेन जी पर कविता” इत्यादि।
2.हिचकी :- “ये होली का त्यौहार”
3.D.L.A :- “आतंकवाद”, “बालदिवस”, “करवा चौथ”, आतंक का साया, “नववर्ष मुबारक”, “राष्ट्रप्रेमी” इत्यादि।
4.नारी शक्ति सागर :- “ग़ज़ल”
5. वर्तमान अंकुर नोएडा :- “घर-परिवार, नारी शक्ति, भारतीय लोकतंत्र
साहित्य एक्सप्रेस में – नव संवत्सर
6.सहित्यापीडिया :- माँ