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हमने तो सुखे हुए समंदर देखे हैं
क्या क्या खौफनाक मंज़र देखे हैं ।
ठूठें दरख्तों पर उजड़े हुए घोसलें
इन्क़लाब करते हुए बन्दर देखे हैं ।
मखमली बिस्तर पे बेचैन अमीर
और फक्कड़ मस्त कलंदर देखे हैं ।
फ़र्श से अर्श,ज़र्रे से आफताब बन
मिट्टी में मिलते हुए धुरंधर देखे हैं ।
चकाचौंध महलों में सुनसान रिश्ते
घनिष्टता झोपड़ियों के अन्दर देखे हैं ।
दिल में रहेंगे मगर साथ घर में नहीं
हमने अजय ऐसे भी सितमगर देखे हैं
#अजय प्रसादनालंदा(बिहार )
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