बेटिया

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ritu ray

क्यूँ इस जहा में हम बेटियों के लिए प्यार नहीं
क्यूँ हमसे कोई उम्म्मीद नहीं,हमारा इंतज़ार नहीं।

हे धरा ,वसुंधरा हे माँ अवनि ,विकेशी
तुझसे हर बेटी अब पूछती है यही।
मेरे प्रश्नों का माँ देना उत्तर सही
पूछती है ये बेटी आँखे आंसुओ से भरी।
क्यूँ धरा पर हमें कुछ लोग लाते नहीं
क्या हममे माँ तुझ जैसे हिम्मत नहीं।
हे निसर्ग,भौतिक हे स्थूल माँ प्रकृति
पूछती है हर बेटी माँ दे उत्तर सही।
क्या तुझ जैसी मैं खूबसूरत नहीं
या धरा पर हमारी जरुरत नहीं।
तू तो है प्रकृति सब कुछ हरा -भरा करती है
मै भी तो घर परिवार पोषण – भरण करती हूं।
तू है सृष्टि,स्थूल माँ प्राणशक्ति
हे माँ प्रवृति हे माँ प्रकृति।
मै भी अंश तो एक माँ का ही हूँ
क्यों धरा पर बेटियों के लिए है नफरत बड़ी।
जन्म लेमे से पहले दफना देते है
अंश हु माँ का मैं भी क्यूँ सजा देते है।
क्या हुई भूल हमसे माँ बता तो सही
पूछती बेटी आँखें आंसुओ से भरी।
हे रवि ,पतंग हे दिनकर, मिहिर
हे अंशु, माली हे सविता, तरणि।
पूछती है ये बेटी बताओ सही
क्या तुम जैसी मैं तेजस्वी नहीं।
ओज मुझमे नहीं ,तेज मुझमे नहीं
क्या प्रकाशित जहाँ को हम करते नहीं।
बता दो हे भानु, दिवाकर तुम्ही
पूछती है ये बेटी आँखें आंसुओ से भरी।
चूल्हे की आँच,घर की नींव
हमें कहते सभी ।
सम्बंधो की अदेली ,प्रार्थनाओं की नदी
फिर ये है गिला ,क्यों जग में लाते नहीं।
हम बेटिया ही घर को सजाते तो है।
हर दिवाली पर हम जगमगाते तो है।
आप के कुल की मर्यादा बढ़ाते तो है।
पूछती है बेटी देना उत्तर सही।
दहेज़ के बोझ से कुछ है डरते पिता
माँ की ममता तड़फ करके कहती यही
मेरा अंश है धरा पर आने दो ना सभी।
हे विधु, सुधांश , हे हिमकर ,शशि
पूछती बेटी है देना उत्तर सही।
क्या तुझ जैसी मुझमे शीतलता नहीं
हे चंद्र ,इंदु, सोम, मयंक,
हे निशानाथ, राकेश,शशांक
पूछती है बेटी आँखें आंसुओ से भरी।
क्या तुझ जैसे हम चमकते नहीं।
हर घर को क्या हम रोशन करते नहीं
क्यूँ घर-घर में है इतनी नफरत भरी
पूछती है ये बेटी आँखें आंसुओ से भरी।
हे अष्टभुजी ,ज्वाला बता माँ आदिशक्ति
क्या मैं दुर्गा ,चंडी,काली नहीं।
या सती की तरह शक्तिशाली नहीं।
क्या सत्यवान के प्राण हम बचाते नहीं।
या नारी धर्म अपना निभाते नहीं।
धरा पर पड़ी जब जरुरत हमारी
क्या हमने लुटाये है बेटे नहीं।
या आन पर जौहर व्रत हमने किये थे नहीं
पूछती है ये बेटी बता माँ सही
क्यों धरा पर हो रही है हमारी कमी।
हे धरा वसुंधरा हे अवनि विकेशी
पूछती है बेटी आँखें आंसुओ से भरी।

#ऋतू राय ऊषा

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