ट्विंकल हम शर्मिंदा हैं

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avinash tiwari
हां कली ही थी तुम
   जो कभी न खिल पायी
आंखों में शर्म हया
    तुझे उसमें बेटी नज़र नही आई।।
कब तलक हम चुप बैठे
  घनघोर निंदा करेंगे
तुष्टिकरण से जिंदा अपने
 सियासत खेल को रचेंगे
कौन दिशा में समाज
       हमको ले जा रहा है
कोई ज़िंदा जल रहा
 तो कोई सेल्फी खींचा रहा है।
क्यों चुप बैठे हैं
       केंडल जलाने वाले
असहिष्णु कौन है
  टुकड़े गैंग वाले
सिसक रही है बेटियां
   मन भय से आतंकित है
जाने कितनी ट्विंकल जैसी
घटना अभी अप्रकाशित है
क्यो खून खौला नही हमारा
क्यों चुप घरों में बैठे हैं
हवसी कितने घूम रहे बाजारों में
ये हर शहर गांव में पैठे हैं।
खत्म हो ये फिदाइन हवसी
 समय की यही दरकार है
नेस्तनाबूत जर दो जड़ से इन्हें
हिंदुस्तानी पुकार है।
#अविनाश तिवारी
जांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)

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