जैसे सूर ताल के बिना संगीत अधूरा है।
वैसे ही शुध्दहवाओ के बिना पर्यावरण अधूरा है।
इसे अनुकूल करने के लिए हरियाली जरूरी है।
स्वास्थ्य जीवन के लिए शुध्द सांसे जरूरी है।।
चाहो तुम तो स्वर्ग इसे बना सकते हो।
चाहो तुम ही इसे नरक बन सकते हो।
दिलो की उमंगों से भारत के लिए सोचो।
और लो संकल्प इसे हरा भारा हम रखेंगे।।
वृक्षो की रक्षा का जिम्मा स्वंय ही उठाएंगे।
एक बार फिर से हरितक्रांति देश में लाएंगे।
मिलकर हम सब चारो तरफ सुंदरता फैलाएंगे।
स्वच्छय सुन्दर भारत के पर्यावरण को बनाएंगे।।
कब से जी रहे है झूठी शान में।
कुछ तो करके दिखलाये देश की शान में ।
कितना कुछ बदल दिया है प्रदूषण महान ने ।
अब तो पेड़ लगाओ प्रदूषण से बचाने को।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।