सफ़ेद चादर पे सोने के सिक्के

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rinkal sharma
सफ़ेद चादर पे सोने के सिक्के
सफेद पहाड़ों की सर्द वादियों में
तीखे नुकीले अकड़े से खड़े हरे पेड़
कोहरे की सफेद चादर और
दूर टीले पे मेरा छोटा सा घर
घर से करीब मील दूर
सफ़ेद सी चादर पर चमकते हुए सोने के सिक्के बिखरे हुए
सुनहरी सिक्कों की चमक में
उजागर होती हरी -पीली सी घास
जिस पर कहीं- कहीं लाल रंग के फूल
बिखरे थे शायद
चारों  ओर सर्द  हवाओं की सरसराहट
और वहीँ दूर कलकल बहती
नदी के पानी की गुनगुनाहट
सुनहरी पहाड़ पर हरी -पीली सी घास
और बिखरे हुए लाल रंग के फूलों के साथ कुछ
धुंधला सा सीधा खड़ा पेड़ शायद
जिसके आसपास हरे ,केसरिया रंग को
दिखाती  इंद्रधनुष की आकृति
लम्बे -लम्बे कदमों से तय  मील का सफर
वो मीठी सी सर्द  हवा बदन में नस्तर
से  चुभोने लगी
वो नदियों की गुनगुनाहट
एक भायाभय  सन्नाटे में परिवर्तित हुई
सफ़ेद पहाड़ पर चमकते सोने के सिक्के
बर्फ के पहाड़ पर बिखरती सूरज की रोशनी
जो आँखों को अब चुंधियाने लगी
वो बिखरे हुए लाल रंग  फूल
मस्तक और अन्य ज़ख्मों से बहता रक्त
वो हरी- पीली सी घास
फौज की वर्दी में लिपटा एक घायल मृत शरीर
धुंधलाहट लिए वो सीधे पेड़ की इंद्रधनुषीय आकृति
युद्ध में विजय की वीर  गाथा को गाती
उस सिपाही की  बन्दूक जो तिरंगे से सुशोभित थी
युद्ध में शहादत लिए वो सिपाही का मृत शरीर
यूँ लग रहा था जैसे एक थका -हारा
मासूम बच्चा , अपनी भारत माता के सफ़ेद आँचल में
गहरी  नींद सो गया हो। .. सदा के लिए
#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा 
अनुभव –  2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन ।  साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका  के रूप में कार्यरत।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।