Read Time3 Minute, 14 Second
सफ़ेद चादर पे सोने के सिक्के
सफेद पहाड़ों की सर्द वादियों में
तीखे नुकीले अकड़े से खड़े हरे पेड़
कोहरे की सफेद चादर और
दूर टीले पे मेरा छोटा सा घर
घर से करीब मील दूर
सफ़ेद सी चादर पर चमकते हुए सोने के सिक्के बिखरे हुए
सुनहरी सिक्कों की चमक में
उजागर होती हरी -पीली सी घास
जिस पर कहीं- कहीं लाल रंग के फूल
बिखरे थे शायद
चारों ओर सर्द हवाओं की सरसराहट
और वहीँ दूर कलकल बहती
नदी के पानी की गुनगुनाहट
सुनहरी पहाड़ पर हरी -पीली सी घास
और बिखरे हुए लाल रंग के फूलों के साथ कुछ
धुंधला सा सीधा खड़ा पेड़ शायद
जिसके आसपास हरे ,केसरिया रंग को
दिखाती इंद्रधनुष की आकृति
लम्बे -लम्बे कदमों से तय मील का सफर
वो मीठी सी सर्द हवा बदन में नस्तर
से चुभोने लगी
वो नदियों की गुनगुनाहट
एक भायाभय सन्नाटे में परिवर्तित हुई
सफ़ेद पहाड़ पर चमकते सोने के सिक्के
बर्फ के पहाड़ पर बिखरती सूरज की रोशनी
जो आँखों को अब चुंधियाने लगी
वो बिखरे हुए लाल रंग फूल
मस्तक और अन्य ज़ख्मों से बहता रक्त
वो हरी- पीली सी घास
फौज की वर्दी में लिपटा एक घायल मृत शरीर
धुंधलाहट लिए वो सीधे पेड़ की इंद्रधनुषीय आकृति
युद्ध में विजय की वीर गाथा को गाती
उस सिपाही की बन्दूक जो तिरंगे से सुशोभित थी
युद्ध में शहादत लिए वो सिपाही का मृत शरीर
यूँ लग रहा था जैसे एक थका -हारा
मासूम बच्चा , अपनी भारत माता के सफ़ेद आँचल में
गहरी नींद सो गया हो। .. सदा के लिए
#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा
अनुभव – 2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन । साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका के रूप में कार्यरत।
Post Views:
807