“भटक गया हूँ”

0 0
Read Time1 Minute, 39 Second
keshav
मैं रास्ता भटक गया हूँ,
जीवन के इस सफर में,
दुखों ने भी डाला है डेरा,
खुशियों के इस डगर में।
मेरे अपने भी छूट गए हैं,
मेरे सपने भी टूट गए हैं,
गिर रहा हूँ हर कदम पर,
दर-दर की ठोकरें खाकर,
सम्भलने की कोशिशों में,
हर बार असफल रहा हूँ,
क्योंकि!
छाया है हर ओर अंधेरा,
उजाले भरे इस नगर में।
मैं रास्ता भटक गया हूँ,
जीवन के इस सफर में।।
मेरे जीवन के रास्ते में,
अब जो कोई मिल रहा है,
मैं हो लेता हूँ संग उसके,
इस उम्मीद में की!
अब मेरा ठिकाना मिलेगा,
पर अजनबी!बीच राह में,
मेरा साथ छोड़ जा रहा है,
मैं अब अकेला हो गया हूँ,
मानवों के इस शहर में।
मैं रास्ता भटक गया हूँ,
जीवन के इस सफर में।।
सभी अनजान हो गए हैं,
अब तो मेरे इस जीवन में,
और पता नहीं क्यों?
न ये स्याह रात बीतती है,
और न ही सवेरा होता है,
अपना ठिकाना ढूंढते ढूंढते,
सभी तरह से लाचार होकर,
मैं तो अब फंस गया हूँ,
मुसीबतों के इस भवंर में।
मैं रास्ता भटक गया हूँ,
जीवन के इस सफर में।।(इति)।।

#केशव कुमार मिश्रा

 परिचय: युवा कवि केशव के रुप में केशव कुमार मिश्रा बिहार के सिंगिया गोठ(जिला मधुबनी)में रहते हैं। आपका दरभंगा में अस्थाई निवास है। आप पेशे से अधिवक्ता हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

"स्वतंत्रता दिवस"

Thu Aug 16 , 2018
सर्वोदय जन जन का मंत्र हो, आम जनता कभी न त्रस्त हो, सभी अपने कार्यों में व्यस्त हो, नव निर्माण का पथ प्रशस्त हो, दिलों से सभी के बैर ध्वस्त हो, दैनिक जीवन की वस्तु सस्त हो, बार-बार ये पन्द्रह अगस्त हो। देश में मजबूत सुरक्षा तंत्र हो, सूर्य अपने […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।