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अब मिलना चाहता हूँ,
सरहद के उस पार से..
कब तक रोकोगे हमें,
कब तक बांधोगे हमें..
मिलना है अपने यार से,
सरहद के उस पार से..।
मत रोको हमें हम इंसान हैं,
न हिन्दू हैं ना मुसलमान हैं..
मिलना है हमें इंसानों से,
वो मिले इस पार से..
या उस पार से,
अब मिलना है अपने यार से..
सरहद के उस पर से…।
कब तक बांधोगे सरहदों से,
कब तक बांधोगे जात से..
मिलना है अपने यार से,
सरहद के उस पार से…।
#प्रभात कुमार दुबे
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Superb