जब मृत्यु ही एक कटु सत्य है, फिर जीने की क्यूँ करते अभिलाषा। आज देखा ख्वाबों पे मंडराते, क्या होती है इसकी परिभाषा। जब-तक चलती है साँस मेरी, चल कर कुछ जीवन से आशा, उठो कर्तव्य कुछ कर दो सुसज्जित, अंत बाद तेरा भी लगे कोई है प्यासा। चलते-चलते विराम-चिन्ह […]

झांका उन्हें मैंने अपने गलियारे से, इसकी भी कोई वजह होगी। उन्होंने तो बस इतना कहा, मैं तुम्हें जानता ही नहीं। शायद इसकी भी कोई वजह होगी। मैं तो इंतजार आज भी करता हूँ उनका, शायद कोई तो वजह होगी। निहारती है आज भी आंखे राहें, शायद तो कोई वजह […]

कच्चे धागों का यह रिश्ता, जमीं-आसमान सा पक्का है। बहन-भाई की प्रेम कहानी, जीवन में एक बस सच्चा है। टूटे ना सांसों से ये धागा, जबतक जीवन गुलजार रहे। जब कलाई पे बंधे ये धागा, लगता कितना अच्छा है। दूर रहे या रहे पास तुम, हरदम दुआओं के दौर रहे। […]

रुकते-रुकते इस महफ़िल में,जाना अच्छा लगता है। कोई न जाने मुझको यहाँ,अनजाना अच्छा लगता है। दूर निकल देखा रे जिंदगी,वो मजलिस मेरा था ही नहीं। गुमसुम-गुपचुप बैठा यहाँ,सारा बेगाना अच्छा लगता है। छूटा अपने टूटे जो सपने,किसका मुझे है गम करना। ठोकरें इतनी पायी है मैंने,सारा जमाना अच्छा लगता है। […]

चलो जिंदगी वक्त की सड़क पे, कुछ खेल करते हैं। मिले जो रास्ते पे, उनसे कुछ मेल करते हैं। कुछ तो मिलते ही, बेजान दिखते हैं। कुछ तो धोखा है यहाँ, जो बिखरे पड़े हैं राह पर। आओ इनसे रुककर बातें, दो-चार करते हैं। कुछ तो सड़क पे ऐसे मिले, […]

ऐ मिट्टी तू मुझे रौंदना अब सहम-सहम कर चलता हूँ, सोचता हूँ मैं तुम्हें रौंदता, पैरों के तले मैं रखता हूँ। डर लगता मुझको अब तुझसे है, तुझमें ही तो मिल जाना है, अंदर से अभिमान जागता, अभी तुझे रौंदने का ही तो पैमाना है। अब सच में भी अंतर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।