क्यों करता हूँ कागज काले….

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durgesh
क्यों करता हूं कागज काले ।
बैठा एक दिन सोच कर यूं ही ,
शब्दों को बस पकड़े और उछाले ।
आसमान यह कितना विस्तृत ,
क्या इस पर लिख पाऊंगा ।
जर्रा हूं मैं इस माटी का,
माटी में मिल जाऊंगा।
फिर भी जाने कहां-कहां से ,
कौन्ध उतर सी आती है ।
अक्षर का लेकर स्वरूप वही ,
कागज पर छा जाती है ।
लिखूं लिखूं मैं किस-किस की छवि को,
सोच कर मन घबराए ।
वह बैठा है मेरे ही मन में ,
बस वही राह दिखाएं ।
कहता है वह और लिखता मैं हूं ,
क्यों ना समझे ये जग।
पार तभी तो पाएगा ,
जब वह उतरेगा स्वमग ।
कुछ करने, मानवता के पण में ,
उसने मुझे चुना है ।
सुनो ना सुनो तुम जग वालों ,
मैंने तो यही सुना है ।
अखबारों के पृष्टों पर छा जाना,
मेरा इसमें ध्यान नहीं ।
सम्मान पन्नों के बोझ तले दब जाऊं ,
यह भी मेरा अरमान नहीं ।
कागज पर मैं छा जाना चाहूँ ।
जो दिल में है सब बताना चाहूँ ।
कागज की छोटी नाव बनाकर,
कलम से उसको मैं खेना चाहता हूँ ।
जो आवाजें दबी हुई आसपास में,
मैं उनकी ही बस कहना चाहता हूँ ।
बचपन की भूली हुई भक्ति ने ,
शक्ति ये दिखलाई है ।
उसने जो कुछ मुझे दिया था,
अब लौटाने की रुत आई है ।
तन में , मन में
या इस जग के, जन-जन में
बस रहता विश्वास है उसका ।
सच झूठ के संसार में ,
एक वास्तविक रूप है उसका।
है बहुत कुछ अभी जिंदगी और बन्दगी में उसकी ।
नेमत जो बस बनी रहे तो करता रहूं बस खिदमत उसकी ।
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।