गणपति आखिर विदा हो गए, बरखा तुम कब जाओगी । अब तो हद-पार अति हो गई, कब तक हमें सताओगी। मानसून में रिमझिम-रिमझिम, हमको प्यारी लगती हो । आषाढ़ी कृषक की, सावन में, बहन हमारी लगती हो। तुम्हें मनाने तुम्हें बुलाने , जाने कितने जतन किए । देर से ही […]

क्यों करता हूं कागज काले । बैठा एक दिन सोच कर यूं ही , शब्दों को बस पकड़े और उछाले । आसमान यह कितना विस्तृत , क्या इस पर लिख पाऊंगा । जर्रा हूं मैं इस माटी का, माटी में मिल जाऊंगा। फिर भी जाने कहां-कहां से , कौन्ध उतर […]

     एक हादसा कल रात हो गया,                          हो बीमार मैं पस्त पड़ा। मच्छर एक ललकारते हुए,                      तान के सीना समक्ष खड़ा। मच्छर हूँ मैं ,मुझसे तुम सब, […]

(लय :-तेरे चेहरे से नजर नहीँ हटती नजारे हम क्या देखें) प्यारे भारत ,प्यारे भारत ,तुझपे मैं कुरबां कुर्बानी कोई क्या देखे । मेरे दिल पे ये तेरे ही निशां निशानी कोई क्या देखे । धरती पे तेरी ये मुल्क समाया है ,सारी ही दुनियां में हमको ये भाया है […]

          आमंत्रण मिलते ही थोड़ी दुविधा भी लगी कि चला जाय या दूरी ,सर्दी ,और समय की बाधाओं से हार कर यहीँ से सन्तुष्ट हो जाएं । आखिर अंदर से आवाज आई कि चलने पर कुछ तो नया मिलेगा ।यही सोच कर सब बाधाओं पर विजय […]

स्वार्थ के वश सब अपनी सोचे ,                    देश की है किसको चिंता । एक स्वार्थ से सब स्वार्थ सधेंगे,                    सोचो तुम जो हो जिन्दा । बाग ही गर जो उजड़ गया तो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।