एक सपना

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ऐसा लग रहा था मानों महीनों पहले की घटना फिर से दुबारा हो रही हो । वही हवा के झरोंको को आँख बंद करके महसूस कर रहा था । उसकी नज़रे ऊपर उठीं उसने मुझे देखा मैंने उसे । पर हैलो करने या कैसी हो पूछने या ये कहने की , कि तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो … हमेशा की तरह , मेरी हिम्मत नहीं हुई ? और वो भी सीधी नज़रें चुराती हुई क्लास में चली गई , और मैं वहीं एक-टक सुन्न सा खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा ।

       दिन बीतते रहे और क्लास के साल का अंतिम दिन भी आ पहुँचा, अनमना सा दिन बिता कर स्कूल की उस दिन की छुट्टी की घण्टी भी बजी। तभी लगा मेरा दिल बाहर निकल जायेगा । पांव कांप से रहे थे । ऐसा लग लग रहा था दिल की बात दिल में ही रह जायेगी । स्टाइल जमाने के लिए कोई मोटर साइकल भी तो नहीं थी पास में जो एक बार हिम्मत करके कह सकूँ कि ”चलो बात नहीं हुई कभी पर आज मेरी बात मानो , आज मैं तुम्हे बाइक से तुम्हारे घर तक छोड़ दूंगा । और वो कह देती “ मुझे कोई दिक्कत नहीं …पर कोई और देखेगा तो क्या सोचेगा , और हम दोनों उस वक्त मुस्कुरा देते ।

       पर ऐसा कैसे हो सकता था, कोई मोटर साइकल जो ना थी , वो जाने लगी, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था … एक बार सोचा कि आज आवाज़ लगा दूँ – “........ रुको थोडा” ।…पर जाने क्यूँ हिम्मत नहीं पड़ी, वो पल शायद ठहर सा गया था मेरा,  पता नहीं क्यों मैं उस वक्त बस उसे जाता देखने के सिवाय कुछ कर नहीं पा रहा था । 

      मन ही मन शायद रो सा रहा था मैं, जैसे किसी सदमे का शिकार हो रहा था … धड़कन रुक सी रही थी । वो स्कूल के गेट पर पहुँच चुकी थी … 

       सोच रहा था  कि शायद उसने ही कभी गौर किया हो , कुछ पूछना चाहे , कुछ बताना चाहे , सोचा कि रोक लेगी वो एक पल के लिए पाँव अपने । मैं जल्दी में लड़खड़ाते हुए गेट के पास तक गया । अब निश्चय कर लिया था … इस बार बोल के रहूँगा , मेरा पूरा शारीर कांप रहा था । वो करीब से गुज़री  .. बिल्कुल करीब । 

      हिम्मत करके मैंने एक झटके में बोल दिया … “सुनो ........... तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ” । मेरी नज़रे झुकी हुई थी और अब बस  उसके जवाब का इंतजार था …। आखिरकार उसका जवाब आया … एक चिट्ठी दी उसने। जाने क्या लिखा था। 

……हम एकदम शांत थे । मैंने नज़रों से नज़रें मिलाई और कहा आज भी कुछ बोलोगी नहीं … उसने मुस्कुराते हुए कहा …” लिखा है कुछ , खुद ही पढ़ लेना” ।

      लग रहा था बहुत बड़ा बोझ हट गया हो दिल से । जी कर रहा था कस के गले लगा लूँ उसे,  पर बहुत से लड़के , लड़कियाँ आ जा रहे थे इसिलिये ऐसा ना कर सका । जाने जो भी लिखा हो पर उसे देख के इतना तो समझ आ रहा था कि , उसने कभी मुझे नज़रअंदाज़ नहीं किया , बस होठों से कुछ कहा नहीं कभी । 

       अब वो बस में बैठी खिड़की में से निहार रही थी । मैं चुपचाप खड़ा उसे देख रहा था … बस के स्टार्ट होते ही मेरी आँखों में आंसू आ गए । बस चली पड़ी …. बस …. अब सब शांत था । कुछ देर यूँ ही मैं वहाँ खड़ा रहा ।होश संभाला तो उस कागज की याद आई , जेब से निकाला पढ़ने के लिए तो एक समय के लिये लगा जैसे दिल धड़कना बंद हो गया है । जैसे ही उस कागज़ को खोल कर पहला शब्द पढने को हुआ  , ऐसा लगा पीछे से मुझे, ज़ोर से मुझे किसी ने झगझोरा ,.............

……. और अचानक से मेरी नींद खुल गई ‘ ।

       बंद आँखों से दिखी वो शिद्दत भरी बेइंतिहा मोहब्बत … वो ख़ुशी, वो हंसी, वो आंसू वो इज़हार , वो शायद हुआ इकरार सब अब, खुली आँखों से धूमिल सा होता दिख रहे थे । 

शिशिर, वाराणसी

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।