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हवा भी छू के जाये बेरुख़ी से
गुज़रता हूँ मैं जब उसकी गली से
है मेरी भूल कर बैठा मुहब्बत
शिक़ायत क्या करूँ मैं अब किसी से
सितारों की रिदा में छुप गयी वो
कहा है चाँद ने क्या चाँदनी से
लुटा बैठा हो जो दिल की ही दौलत
डरेगा वो भला क्या रहजनी से
बढ़ा ले अब कदम घर की भी जानिब
कोई कह दो मेरी आवारगी से
है सूखा अश्क़ जब तो आँख में क्यूँ
अभी तक ठहरी है पूछो नमी से
करे जो बेवफ़ाई हर कदम पर
‘सिफ़र’ चाहे वफ़ाएँ क्यूँ उसी से
#अंजलि ‘सिफ़र’
परिचय-
अंजलि ‘सिफ़र’
नाम-अंजलि ‘सिफ़र’
साहित्यिक उपनाम- ‘सिफ़र’
पता- अम्बाला शहर(हरियाणा)
शिक्षा-एम०ए०(अंग्रेज़ी) एम०एड०
कार्यक्षेत्र-अध्यापन
विधा -कविता,ग़ज़ल,लघुकथा, कहानी, विभिन्न छंदों में काव्य रचना
प्रकाशन-लगभग 25 पत्र ,पत्रिकाओं एवं साझा संकलनों में काव्य एवं गद्य रचनाएं प्रकाशित।
सम्मान-सोशल मीडिया के साहित्यिक समूहों में रचनाएँ पुरस्कृत, मंचों पर काव्य पाठ हेतु सम्मानित
ब्लॉग-
अन्य उपलब्धियाँ-
लेखन का उद्देश्य-सार्थक सृजन कर समाज और ख़ुद को सकारात्मक पथ पर बढाना
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Fri May 3 , 2019
फितरतें ही सब कहती है कुछ इंसान नहीं कहता है ये बाईबल या गुरुग्रंथ का ज्ञान नहीं कहता है यूं धर्मों के नाम पर हम खून के प्यासे हो जाएं ये गीता नहीं कहती ये कुरान नहीं कहता है धर्मों के नाम पर हम खेलें क्यों खेल खूनी बहनों को […]