मल्लिका-ए-पर्वत

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sushama malik

बौना कर दिया हर पर्वत तूने,
इनकी चोटी भी सर झुका रही!
किया कदमों को इतने ऊंचे तूने,
कि तू आसमान तक जा चढ़ी!!
अकेली ही चल पड़ती थी,
ना कभी भी कहीं घबराई तू!
आज काफिले के साथ ,
नेतृत्वकारी बनकर तू आगे बढ़ी!!
पूरा विश्व तुझ पर गर्व करे,
हर जगह पर गूंजा नाम तेरा!
तूफान बवंडर भी रुक गए,
जब शेरनी बनकर तू आगे खड़ी!!
दिन देखा ना रात तूने,
ये तेरी मेहनत ही तो रंग लायी है!
गाड़ा जब तूने तिरंगा तो,
कोई परिस्थिति ना तेरे आगे अड़ी!!
यूं ही नही पहुँची “मलिक”,
ये “अनिता” लोगों के दिलों तक!
गरीबी और समाज दोनों से,
ये वीर योद्धा बन कर लड़ी!!

#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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