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जन्म तो दिया तुझे
पर बड़ा करूँ कैसे,
डर लगता है जालिमों से
मैं तुझे समझाऊँ कैसे।
है पग-पग आडम्बर
खड़ा है मानव दैत्य बनकर,
तू ठोकर न खा ले कहीं
ये डर तुझे बताऊँ कैसे।
भविष्य तो मैं बना दूंगी
तुझे मंजिल तक पंहुचा दूँगी,
पर ब्याह के बाद की परिस्थिति से
निपटना तुझे ये समझाऊँ कैसे।
ढूंढना है अपने सपनों को
तोड़ना पड़ता है सारे रिश्तों को,
पर तू टूटना न कभी
ऐसी हिम्मत मैं तुझमे लाऊँ कैसे।
उज्जवल हो भविष्य तेरा
जीवन की हर ख़ुशी मिले तुझे,
वो आशीर्वाद से भरी पोटली
सोचती हूँ मैं लाऊँ कहां से॥
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।
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Sat Oct 28 , 2017
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