दिए दर्दों को

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sushama malik

उसी के दिये दर्दों को, मैं उसी के नाम करती हूं..!!

जमाना मुकद्दर नही मेरा, मैं मुकद्दर नही जमाने की!
वो तो जमाने से डरता है मैं तो उसी से डरती हूं!!
उसी के दिये दर्दों को, मैं उसी के नाम करती हूं!!

पैसा हुआ फितरत उसकी,कलम हुई फितरत मेरी!
वो अपना काम करता है, मैं अपना काम करती हूं!!
उसी के दिये दर्दों को, मैं उसी के नाम करती हूं!!

वक्त उसके पास नही,”मलिक” उसकी मोहताज नही!
वो मर मरकर जीता है, तो मैं जी जीकर मरती हूं!!
उसी के दिये दर्दों को, मैं उसी के नाम करती हूं!!

अगर चोरी उसने नही की, तो डाका मैंने नही डाला!
वो छिप छिपकर करता है, तो मैं सरेआम करती हूं!!
उसी के दिये दर्दों को, मैं उसी के नाम करती हूं!!

#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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