तेरे जाने से

0 0
Read Time3 Minute, 41 Second

shivankit tiwari

तेरे जाने से,अब ये शहर वीरान हो गया,

तेरे जादू का असर अब जाने कहा खो गया,
तेरी पायल की झंकार से,
ये सारा शहर जाग जाता था,
अब उन झंकारो का खतम नामों-निशान हो गया,
बहुत ढूँढ़ा मैनें तुझे मुशाफिरों की तरह,
भटकता रहा,छिपता रहा,कायरो की तरह,
अब तक तो ये शहर भी पूरा सुनसान हो गया,
ऐसे बिछड़ी या कहूँ खो गयी तू इस शहर से,
तुझे ढूँढने का जारी फरमान हो गया,
तलाशता रहा तुझे शहर के हर इक कोने में,
अब तुझे ढूँढनें का जारी लाखों इनाम हो गया,
तू वजूद थी या परछाईं थी मेरी,
तुझे लिखना बस मेरा आखिरी काम हो गया !!
#शिवांकित तिवारी ‘शिवा’
परिचय-शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अंग्रेजी में

Tue Apr 9 , 2019
बिहार कथा….. पूरी दुनिया में लोगों को इन्साफ उनकी भाषा में ही मिलता है। हमारे देश में भी राजाओं – महाराजाओं के जमाने से यही होता रहा है। अगर भारत पर विदेशी सत्ता कायम नहीं होती तो अब भी यही हो रहा होता। पर शायद हम दुनिया जैसे नहीं हैं। […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।