“नारी” नम्र,नियम,न्याय,निष्ठा से परिपूर्ण एक अद्भुत निकेतन है! “नारी” संस्कृति,सभ्यता,संवेदना,संकल्प,स्वाभिमान,सम्मान, सद्गुण एवं स्नेह की सर्वश्रेष्ठ संरक्षिका है! “नारी” यानी सदैव क्रियाशील रहना,हलचल करना एवं सदैव नेतृत्व करना! “नारी” तिरस्कार,निरादर,अवहेलना की नहीं बल्कि स्वीकार्य,आदर एवं अपेक्षाओं की प्रतिमूर्ति एवं प्रतीक है! “नारी” बाह्य ख़ूबसूरती में लिपटा लिबास नहीं बल्कि अंतर्मन की […]

हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं,बल्कि यह हमारे अल्फाजों को समेट,हमारी बातों को सरलता एवं सुगमता से कहने का विशेष माध्यम हैं। हिन्दी बिल्कुल हमारी की तरह ही हमसे जुड़ाव रखती है और हम भी मां हिन्दी के बिना अपने अस्तित्व की कभी कल्पना नहीं कर सकते। क्योंकि मां के बिना बेटे […]

नदी अब बहुत गुमान में है, कि वो आजकल उफ़ान में है, ग़रीब तो आज भी फुटपाथ पर सोते है, अमीरजादें तो अंदर अपने मकान में है, जमीं से तो उनका रिश्ता ही टूट गया है, अब तो उनका सारा ध्यान आसमान में है, रंग बदलने की फितरत अब गिरगिट […]

सिर्फ   हम   ही   हम  है, ये वहम तुम्हारा अहम है, आसमां  में  उड़ रहे है वो, जिनके लिए जमीं कम है, पिता सबसे अनमोल है जग में, बाहर से कठोर अंदर से नरम है, तुम्हारे  भाग्य  का  भाग  कर  आयेगा, मेहनत जीतोड़ करों बाकी सब भरम है, अपना  हर  कदम  […]

मुझ पर तानें कस रहा है वो, मेरे जख्मों पर हंस रहा है वो, गुरुर  की  नाव  में  सवार  होकर  चला था, अब बीच मझधार में आकर फंस रहा है वो, बड़ा   होकर   बदल   जायेगा, ये  भरम  था  मेरा, आसमां में उड़ने की जगह जमीं में धंस रहा है वो, […]

आखिर अब खुद को बदल रहा है वो, गिर  उठ  गिर  फिर  संभल रहा है वो, मौसम  का  मौसम  बिगड़ रहा है अब, और कांटें भरें रास्तों पर चल रहा है वो, हिम्मत अब  उसकी और बढ़ती जा रही है, खयालों से सवाल कर आजकल रहा है वो, हवाओं  को  पकड़ने  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।