गरीबी का अस्त्र या जंग लगा शस्त्र

0 0
Read Time5 Minute, 1 Second

aashutosh kumar
बचपन से ही राजनीतिक दलों द्वारा गरीबी हटाओ का नारा सुनाया जाता रहा है।चुनावी मौसम में यह नारा कुछ ज्यादा ही हो जाया करती है। यह बात भी सच है कि इसी मुद्दे पर कई बार सरकारे बनी और गिरी, लेकिन गरीबी जस की तस है? कही कम तो कही ज्यादा? आज की परिस्थितियां और समीकरण बदल चुके हैं। ऐसे में गरीबी का अस्त्र जंग लगे शस्त्र के समान है या बिना जंग के यह वक्त के गर्भ में छिपा है।हाल में गरीबो के लिए एक योजना का ऐलान किया गया है। सरकार बनी तो सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को 72,000 रुपये सालाना की आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाएगी। यह योजना गरीबी पर अंतिम प्रहार के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का आकलन अलग है उनका मानना है यह स्टंड के अलावा  कुछ भी नहीं है। उन्होने चिन्ता जाहिर कि है कि इतना पैसा कहां से आएगा और राजकोषीय घाटे से कैसे बचा रहा जा सकेगा?
मौजूदा सरकार सभी क्षेत्रो में सराहणीय कार्य करते हुए लोगो को विश्वास दिलाया है कि यह गरीबों की सरकार है।विभिन्न जन कल्याण कारी योजनाओं के माध्यम से लोगों के दिलों में जगह बनाकर लोकप्रिय साबित हो रही है। लोकप्रियता का आलम यह है कि लोगो को भक्त तक कहा जाने लगा है। शायद इसी का कारण है गरीबी हटाओ योजना। सरकार ने आवास, सामाजिक सुरक्षा, गैस, बिजली और आयुष्मान भारत आदि योजनाओं के जरिए गरीबों का विश्वास जीता है।लोगो को बैंकों से जोडकर खातों में सीधे सब्सिडी जमा कराई है जिससे विचौलियो और भ्रष्टाचार पर मी लगाम लगा है।इन सभी कामो के अलावा किसान की कर्जमाफी और मनरेगा भी हैं। सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को जेब खर्च मुहैया करवाने का लक्ष्य तय किया गया है।
देश में इतनी योजनाओं के बावजूद आज तक गरीब क्यों मौजूद है? गरीबी का उन्मूलन क्यों नहीं किया जा सका? गरीब और गरीबी की बुनियादी और सर्वसम्मत परिभाषा तक तय क्यों नहीं की जा सकी है? दर्जनों कमेटियों की रर्पोटें आ चुकी हैं, लेकिन गरीब की परिभाषा तय नहीं हो पाई,
देश की सरकारो ने योजनाओं के जरिए गरीबों की स्थिति सुधारने की कोशिश लगातार की  है। 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों का डाटा कौन-सा है? कमेटियों ने गरीब की आय का जो आंकड़ा दिया है, वह सात दशकों के दौरान चलाई गई गरीबी हटाओ मुहिम के बावजूद है।
ऐसे में पैसे बांटकर उनकी काम करने की क्षमता को कम नहीं किया जाएगा।बेहतर होता कि रोजगार के अवसर पैदा की जाती काम दिए जाते, उत्पादन बढाये जाते, प्रोत्साहित किये जाते और लोगो को हुनरमंद बनाए जाते तो शायद मौजूदा घोषणाओं से कही ज्यादा कारगर होता।और दलों को फायदा भी।ऐसे घोषणाओं से देश पंगु और ठगा हुआ महसूस करने लगा है।
पंगु से मेरा मतलब बिना काम के पैसे मिलने लगेगे तो कोई काम क्यों करेगा? ऐसे में वह पंगु ही बनकर रह जाएगा। इस तरह की नीतियाँ समाजिक केंसर पैदा करेगी जो देश की आबादी को कामचोर बनाएगा साथ हीं उत्पादन और रफ्तार को भी प्रभावित करेगा फलतः एक  शून्य उत्पन्न होगा जिसे आने वाले दिनो में भरना मुश्किल होगा।

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जंगली आंखों को सुंदर पर दिल तक नही पहुची जंगल और इंसान की दोस्ती

Fri Mar 29 , 2019
निर्देशक चक रसैल अदाकार विद्युत जामवाल, अक्षय ओबेराय, आशा भट्ट, अतुल कुलकर्णी, मकरन्द देशपांडे, पूजा सावन्त, विश्वनाथ चैटर्जी, कहानी रितेश शाह, पटकथा एडम प्रिंस, चक रसैल संगीत समीरउद्दीन एक्शन परवेज शेख चुंग ली फिल्मांकन मार्क इरविन दोस्तो दुनिया की सबसे खूबसूरत रचना है इंसान यदि इंसान को कुदरत ने सबसे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।