जंगली आंखों को सुंदर पर दिल तक नही पहुची जंगल और इंसान की दोस्ती

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edris
निर्देशक
चक रसैल
अदाकार
विद्युत जामवाल, अक्षय ओबेराय, आशा भट्ट, अतुल कुलकर्णी, मकरन्द देशपांडे, पूजा सावन्त, विश्वनाथ चैटर्जी,
कहानी
रितेश शाह,
पटकथा
एडम प्रिंस, चक रसैल
संगीत
समीरउद्दीन
एक्शन
परवेज शेख
चुंग ली
फिल्मांकन
मार्क इरविन
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दोस्तो दुनिया की सबसे खूबसूरत रचना है इंसान
यदि इंसान को कुदरत ने सबसे ऊपर रखा है तो उसकी जवाबदेही भी सबसे ज्यादा रखी है
उन्ही जवाबदेहियों में एक जवाबदेही जंगल मे पाए जाने वाले जानवर चाहे वह दरिंदे हो या परिंदे हो या फिर चरिंदे हो सबकी हिफाज़त करना,,
भारत मे जानवरो पर खूब फिल्मे आई जिसमेहाथी मेरे साथी राजेश खन्ना की, तेरी मेहरबानियां, इंटरटेनमेंट उसी श्रृंखला की अगली फिल्म मान सकते है,,
फ़िल्म पर चर्चा से पहले निर्देशक चेक रसैल पर एक छोटी चर्चा कर लेते है क्योंकि चेक हॉलीवुड फिल्म जगत से भारत मे जंगली से शुरूआत कर रहे है,
चेक ने हॉलिवुड में 1987 नैटमेयर सीरीज की तीसरी फिल्म ड्रीम वॉरियर के निर्देशन से शुरूआत की थी,
1994 में द मास्क जिम केरी के साथ सफल हास्य फ़िल्म दी, इरेज़र, स्कॉर्पियन किंग,
चक ने हॉलीवुड में एक्शन और हास्य परोसा भी और कामयाबी भी हासिल की अब चक भारतीय पर्दे पर जंगली से आगाज़ कर रहे है,,
फ़िल्म आप आ जाते है,
कहानी
आसान कहानी है,
शहर में जानवरों का एक डॉक्टर है राज नायर(विद्युत जामवाल) जो कि 10 साल के लंबे अंतराल के बाद अपने गाँव मे अपनी माँ की बरसी पर पहुचता है, जहां उसे नई नई समस्याओं से दो चार होना पड़ता है, उसके पिता पहले सेंचुरी नामक एक संस्था चलाते थे जो संस्था हाथियों के संरक्षण के लिए काम करती थी,
हाथी का नाम आते ही हाथी दांत और उसकी तस्करी ज़हन में आना लाज़मि है,,
उड़ीसा के गाँव मे राज के बचपन की दोस्त शंकरा(पूजा सावन्त), और फारेस्ट ऑफिसर देव भी मिलते है जो सेंचुरी के काम मे राज की मदद करते है, एक पत्रकार मीरा (आशा भट्ट) राज के पिता और उनकी संस्था सेंचुरी पर आलेख लिखना चाहती है जो कि राज के साथ हो जाती है,,
राज अपने उड़ीसा के गांव पहुच कर अतीत के झरोखे में खो जाता है जहां उसका एक दोस्त हाथी साथी भोला और दीदी के अलावा अपने गूरू(मकरन्द देशपांडे) से भी मिलता है, जिनसे वह क्लारिपयट्टू सीखा करता था
यह था फ़िल्म का स्थापना वाला आयाम जो कि हल्के पुलके तरीके से निर्देशक ने निकाल दिया अब फ़िल्म में सेंचुरी संस्था जिसमे उसके पिता हाथियों के सरक्षण दिया करते थे, हाथी दांत की तस्करी से फ़िल्म का जुड़ना लाज़मी ही था और होता भी यही है, हाथी दांत की तस्करी करने वाला शिकारी(अतुल कुलकर्णी) सेंचुरी में पहुच कर हॉथीदांत हासिल करने के लिए सेंचुरी को नेस्तनाबूत करने के साथ हाथियों के सरदार भोला और राज के पिता को मौत के घाट उतार देता है,,
यहां से शुरू होती है राज और हाथियों के प्रतिशोध की ज्वाला
क्या हाथी और राज बदला ले पाने में काम्याब होंगे
इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी
फ़िल्म का खूबसूरत पहलू है एक्शन और फिल्मांकन
एक्शन दृश्य कमाल ही नही लाजवाब भी है विद्युत का एक्शन देखते ही बनता है
विद्युत खुद देश के पहले 5 ब्लेक बेल्ट मार्शल आर्ट में आते है लगभग सभी एक्शन दृश्य उन्होंने ही किये है,
एक्शन दृश्यों का क्रेडिट चुंग ली को जाता है, विद्युत की फुर्ती देखते हो बनती है, साथ ही हाथियों के साथ के दृश्य की शानदार लगते है, निर्देशक चक ने हाथियों के साथ जो दृश्य बनाए है उसमें दर्शक हाथियों से लगाव महसूस करने लगता है यही फ़िल्म में सफलता की कुंजी होती है,,,
अदाकारी पर बात करे
विद्युत ने अपना सर्वस्त्र ईमानदारी से दिया है, आशा भट्ट की पहली फ़िल्म है पूजा सावन्त दोनों को अभिनय सीखना और समझना बाकी है,, मकरन्द को लंबे समय बाद देख कर अच्छा लगा लेकिन न ज्यादा संवाद थे और नही लम्बा किरदार,
अतुल मराठी फिल्म थियेटर के मंजे हुवे अभिनेता है जो थोड़े में भी आग लगाने की दक्षता रखते है,,,
 संगीत और गाने
गाने और बेक ग्राउंड दोनों समीरउद्दीन ने दिया है
गाना दोस्ती, फकीरा घर आजा-अच्छे बने है जो फ़िल्म को आगे बढ़ाने में मदद करते है,,
मार्क इरविन का फिल्मांकन सुंदर है जो आंखों में बस जाता है,,
कमियां
 निर्देशक चक रसैल भारतीय मसाला फ़िल्म बनाने में गच्चा खा गए
फ़िल्म में सेट कई जगह बनावटी लगे है,
गाँव वालों को कुछ दृश्यों में अति आधुनिक दिखाना भी कही कहि खलता है,,
फ़िल्म जॉर्ज ऑफ जंगल 1997 हॉलीवुड की याद ताज़ा करती है,,
फ़िल्म एक वर्ग विशेष और बच्चों को ही पसन्द आएगी,
पुराना विषय है ज्यादा प्रभावित नही करता,  फ़िल्म देखते वक्त आगे की फ़िल्म समझ आने लगती है तो ऐसी  फ़िल्में दर्शकों बांध नही पाती,
फ़िल्म से सन्देश निकलता है
हमारी पृथ्वी और यहां पाई जाने वाली हर नियामत की सुरक्षा की जवाबदेही हमारी बनती है
फ़िल्म को 3 स्टार्स

#इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।