अपहृत नाबालिग़ बालिकाओं को रिहा कर हिन्दूओं पर अत्याचार रोके पाक सरकार : विहिप

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नई दिल्ली |

विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) सहित सम्पूर्ण विश्व के हिन्दुओं की मांग है कि पाकिस्तान में अपहृत हिन्दू नाबालिग़ बालिकाओं को रिहा कर वहां पर हिन्दुओं, उनकी संस्कृति व धर्म स्थलों के विरुद्ध लगातार हो रहे उत्पीडन पर पूर्ण बिराम लगाया जाए. आज दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए विहिप महा-सचिव श्री मिलिंद परांडे व केन्द्रीय सचिव श्री प्रशांत हरतालकर ने कहा कि पाकिस्तान के घोटी जिले की रवीना(13) व रीना(16) तथा बादिन जिले की मेघवाल हिन्दू समुदाय की एक अन्य 16 वर्षीया बालिका को अबिलम्ब रिहा कर इनके परिजनों को सौंपा जाए. इन नावालिक बालिकाओं का हिन्दुओं के पवित्र होली के त्यौहार के दिन न सिर्फ बंदूक की नोंक पर अपहरण कर स्थानीय मस्जिद में ले जाया गया बल्कि जबरन धर्मान्तरण व इच्छा विरुद्ध निकाह भी किया गया. विहिप ने पाकिस्तान सरकार, वहां की न्याय व्यवस्था तथा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी हिन्दूओं के मानवाधिकारों व नागरिक अधिकारों पर पाकिस्तान में लगातार हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध अबिलम्ब प्रभावी कदम उठाने की मांग की है.

विहिप का कहना है कि अनेक स्वयं सेवी संगठनों तथा Global Human Rights Defence (GHRD) सहित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों तथा मूवमेंट ऑफ सोलिडेरिटी एंड पीस के एक अनुमान के अनुसार पाकिस्तान में हर वर्ष एक हजार से अधिक हिन्दू बालिकाओं व महिलाओं का अपहरण तथा इस्लाम में धर्मांतरण बल पूर्वक किया जाता है. पाकिस्तान के न्यायालय तथा न्याय व्यवस्था भी दबाव पूर्ण तरीकों से बनाए गए फर्जी दस्तावेजों तथा बयानों के आधार पर इस्लामिक जिहादियों का ही समर्थन करते हैं.

आंकड़ों का हवाला देते हुए विहिप ने कहा कि 1947 से लेकर आज तक पाकिस्तान में हिन्दूओं का लगातार उत्पीडन होता रहा है. यही कारण है कि पाकिस्तान में भारत विभाजन के समय हिन्दुओं की 16% जनसंख्या सन् 2011 में मात्र 1.6% रह गई. आखिर 90% हिन्दू कहाँ चले गए? इसके पीछे उनका लगातार कानूनी, सामाजिक तथा प्रशासनिक उत्पीडन ही तो उत्तरदायी है जो प्रारम्भ से आज तक जारी है.

इन नाबालिग़ बालिकाओं के सन्दर्भ में भारत सरकार द्वारा की गई त्वरित कार्यवाही तथा पाकी उत्पीडन का शिकार निर्वासित हिन्दुओं को भारत में लम्बी अवधि के वीजा, उनकी नागरिकता तथा पुनर्वास संबंधी व्यवस्थाओं में सहयोग करने पर विहिप ने उसका धन्यवाद किया है. भारत के नागरिक कानून में बदलाव के प्रयासों पर भी संतोष व्यक्त करते हुए विहिप महा सचिव ने कहा की विश्व भर के किसी भी कोने में रहने वाला हिन्दू जब धार्मिक उत्पीडन का शिकार होता है तो स्वाभाविक रूप से वह भारत से ही आस लगाता है.

विहिप का यह भी कहना है कि हालांकि अपने नागरिकों की धार्मिक तथा मानवाधिकार संबंधी सुरक्षा की जबाव-देही वहां की स्थानीय सरकारों की है किन्तु फिर भी विश्व हिन्दू परिषद् विश्व भर में धार्मिक उत्पीडन के शिकार हिन्दुओं का भारत में स्वागत करती है.

प्रशांत हरतालकर मिलिंद परांडे

केन्द्रीय मंत्री महा-मंत्री

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।