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इस बार लौटना
तो संपूर्ण होकर ,
बहती धाराओं के साथ लौटना ।
क्योंकि किसी का लौट आना
समय की कैद से लौटना होता है,
क्योंकि प्रेम की तीसरी आँख की तरह मृत्युजंय होता है किसी का लौट आना
किसी का लौट आना
इंतजार करने से ज़्यादा घातक हो जाता है।
इसलिए
जब कभी लौटना
मेरे पास तुम,
मर चुकी उन उम्मीदों के साथ लौटना
जिन्हें पूरा होना था,
उम्र के बिताऐ गए
उन उदास लम्हों के साथ लौटना
जिन्हें दुनिया में सबसे खूबसूरत होना था,
अपनी उन तमाम कोशिशों के साथ लौटना
जो तुमने उन लोगो के लिए की
जो तुम्हारे होने थे
तुम्हारे हो नहीं पाऐ।
इसलिए,
जब कभी लौटना
मेरे पास तुम,
पुराने पदचिन्हों के साथ
लौटना
क्योंकि इस तरह लौटाेगे तुम
तो बाकी बचे
रस्तो को गुन-गुनाया जा सकेगा फिर से,
बाक़ी बची छांव में दुनिया की
और हसीन धुने बनाई जा सकेगी,
बाक़ी रह गई
थोड़ी-सी जगह में एक दुनिया और बनाई जा सकेगी,
हज़ारों लिखी जा चुकी किताबों
के आख़िरी पन्नों को फिर से
लिखा जा सके।
परिचय :
नाम – फहीम अहमद
वर्तमान पता – नई दिल्ली
शहर – दिल्ली
शिक्षा – बी.ए ( इतिहास ) , बी.एड
कार्यक्षेत्र – अध्यापक
विधा – कविता, कहानी, नाटक
ब्लॉग – हुदहुद
अन्य उपलब्धियां – रंगकर्मी हूं ।
लेखन का उद्देशय – दुनिया की कुंठा की चित्रकारी करना।
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